नई व्यवस्था के अंतर्गत अब प्रत्येक पंचायत सरकार भवन में पंचायत सचिवों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे स्थानीय निवासियों के जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करें। अब ग्रामीणों को प्रमाण पत्र के लिए प्रखंड कार्यालय या जिला मुख्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इससे न केवल समय और पैसे की बचत होगी, बल्कि भ्रष्टाचार और दलालों की भूमिका पर भी अंकुश लगेगा।
राज्य सरकार का यह निर्णय ई-गवर्नेंस को जमीनी स्तर तक पहुंचाने की दिशा में एक अहम कदम है। पंचायत सचिवों को प्रशिक्षण देकर इस प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की योजना है। साथ ही डिजिटल रिकॉर्ड भी तैयार किए जाएंगे, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकेगी।
गौरतलब है कि अब तक जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए ग्रामीणों को लंबी प्रक्रिया और कई स्तरों पर कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते थे। कई बार समय पर प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण उन्हें सरकारी योजनाओं, स्कूल दाखिलों, पेंशन या बीमा जैसी सेवाओं का लाभ लेने में कठिनाई होती थी।
पंचायत सचिवों को यह अधिकार देना न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को विकेंद्रित करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों में प्रशासनिक व्यवस्था के प्रति विश्वास भी बढ़ाएगा। यह कदम राज्य के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले नागरिकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
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