यूपी में कब होगा पंचायत का चुनाव? तैयारी शुरू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव 2026 को लेकर तैयारियां तेज हो चुकी हैं। यह चुनाव न केवल स्थानीय प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने का जरिया है, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ी परीक्षा भी बन गया है। खासतौर पर इसलिए क्योंकि 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले इसे सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है। पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता और भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण की विस्तृत समय-सारिणी भी जारी कर दी है।

चुनावी तैयारी की रूपरेखा

पंचायत चुनाव की प्रक्रिया की शुरुआत 18 जुलाई 2025 से मतदाता सूची के पुनरीक्षण के साथ हो रही है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, 15 जनवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा। इस बीच, एक जनवरी 2025 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले सभी योग्य युवाओं को सूची में शामिल किया जाएगा। बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर सर्वेक्षण, पांडुलिपि तैयार करना, और दावे-आपत्तियों का निस्तारण जैसी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

मतदाता सूची को अद्यतन करने की यह कवायद केवल चुनाव की तकनीकी तैयारी नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि लोकतंत्र में हर योग्य नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित हो। यह प्रक्रिया राजनीतिक दलों के लिए भी रणनीतिक मायने रखती है, क्योंकि जितनी सटीक और समावेशी मतदाता सूची होगी, उतना ही सही दिशा में प्रचार-प्रसार किया जा सकेगा।

राजनीतिक दलों की जमीन पर वापसी

पंचायत चुनाव केवल गांवों और कस्बों के स्तर पर प्रतिनिधियों के चुनाव तक सीमित नहीं है। यह राजनीतिक दलों के लिए जमीनी पकड़ का एक अहम संकेतक बन गया है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों ही स्तरों पर पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह चुनाव उन्हें न केवल अपने संगठनात्मक ढांचे को परखने का मौका देगा, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और माहौल तैयार करने का भी अवसर है।

नवजवान मतदाताओं की भूमिका

2026 के पंचायत चुनाव में युवा मतदाता निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं। जिन युवाओं की उम्र 1 जनवरी 2025 तक 18 साल पूरी हो रही है, वे पहली बार मतदाता सूची में नाम दर्ज करवा सकेंगे। आयोग ने इनके लिए विशेष आवेदन और सत्यापन की प्रक्रिया निर्धारित की है। इन नए वोटरों को जोड़ना न केवल संख्या बढ़ाएगा, बल्कि राजनीतिक दलों को नई ऊर्जा और विचारधारा के साथ जुड़ने का अवसर भी देगा।

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