‘प्रहार’ से ‘प्रणश’ तक: सटीकता और रेंज में विस्तार
‘प्रहार’ मिसाइल, जिसकी वर्तमान मारक क्षमता लगभग 150 किलोमीटर है, पहले से ही सेना की त्वरित और सटीक प्रहार क्षमता का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। यह प्रणाली मुख्यतः युद्धक्षेत्र के भीतर दुश्मन के उच्च-मूल्य लक्ष्यों—जैसे कमांड पोस्ट, रडार स्टेशन, एयर डिफेंस सिस्टम—को नष्ट करने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
अब इसके विस्तारित संस्करण ‘प्रणश’ पर काम चल रहा है, जिसकी अनुमानित रेंज लगभग 200 किलोमीटर तक होगी। यह बदलाव केवल दूरी का विस्तार नहीं, बल्कि युद्धक्षेत्र से बाहर रहते हुए भी गहराई में प्रभावी प्रहार करने की क्षमता की दिशा में एक रणनीतिक छलांग है। ‘प्रणश’ को रोड-मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जाएगा, जिससे इसकी तैनाती और जवाबी हमले की क्षमता अत्यधिक लचीली होगी।
‘प्रलय’ की तैनाती: डीप-स्ट्राइक का नया साधन
‘प्रलय’ मिसाइल, जो 150 से 500 किलोमीटर की रेंज में मार करने में सक्षम है, भारत की सामरिक बैलिस्टिक क्षमताओं में एक बड़ा इजाफा है। इसकी विशेषताएं—जैसे हाई-स्पीड ट्रैजेक्टरी, अलग-अलग वारहेड विकल्प, और टर्मिनल फेज में मैन्यूवरिंग—इसे विशिष्ट बनाती हैं। सेना और वायुसेना द्वारा दिए गए कुल 370 यूनिट्स के ऑर्डर यह स्पष्ट करते हैं कि भारत इसे उत्तर और पश्चिमी सीमाओं पर बड़े पैमाने पर तैनात करने की योजना बना चुका है।
आधुनिक युद्ध की तैयारी: मिसाइल और रॉकेट
भारत जिस रणनीतिक दिशा में बढ़ रहा है, वह स्पष्ट रूप से एक लियरड एंड फ्लेक्सिबल स्ट्राइक कैपेबिलिटी—अर्थात बहुस्तरीय और चुस्त प्रहार क्षमता—की स्थापना की ओर इंगित करती है। मिसाइल और निर्देशित रॉकेट प्रणालियों का यह संतुलन भारत को सीमित युद्ध, हाइब्रिड वारफेयर, और डीप स्ट्राइक जैसे आधुनिक युद्ध के सभी परिदृश्यों के लिए तैयार करता है।
पिनाका, प्रहार, प्रणश और प्रलय मिलकर एक ऐसा नेटवर्क बनाते हैं, जो न सिर्फ सीमा पर बल्कि युद्ध क्षेत्र के भीतर 500 किलोमीटर तक के किसी भी लक्ष्य को ध्वस्त करने में सक्षम है। इसके अलावे भारत के द्वारा और भी कई तरह की आधुनिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें बनाई जा रही हैं।
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