नया नियम क्या है?
पहले अगर बच्चे का जन्म एक साल से ज्यादा पहले हुआ हो, तो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बीडीओ (Block Development Officer) से अनुमति ली जाती थी। अब इस प्रक्रिया में एक स्तर ऊपर जाते हुए एसडीएम (Sub Divisional Magistrate) की अनुमति अनिवार्य कर दी गई है। यानी, अब एक साल से पुराने मामलों में सिर्फ बीडीओ की अनुमति काफी नहीं होगी।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव
शहरी क्षेत्र में अब जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी सहायक या प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी को दी गई है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह काम पंचायत सचिव को सौंपा गया है। इन रजिस्ट्रारों को 21 दिनों के भीतर आवेदन मिलने पर प्रमाण पत्र जारी करने की जिम्मेदारी होगी। यदि प्रमाण पत्र 30 दिन बाद बनवाना हो, खासकर मृत्यु प्रमाण पत्र, तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफआईआर की कॉपी या कोर्ट का आदेश देना अनिवार्य होगा।
बच्चे के जन्म के एक साल बाद प्रमाण पत्र बनवाने की स्थिति में प्रक्रिया
ग्रामीण क्षेत्र: 1 महीने से अधिक समय बीत जाने पर प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी से संपर्क करना होगा।
शहरी क्षेत्र: यदि जन्म को एक साल से ज्यादा समय हो गया है, तो एसडीएम से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
आवश्यक दस्तावेज: बर्थ सर्टिफिकेट के लिए जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, वे हैं: अस्पताल या डॉक्टर की जन्म रिपोर्ट, सेविका (आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता) की पंजी, स्कूल प्रमाणपत्र (यदि बच्चा स्कूल में नामांकित है), आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस (यदि उपलब्ध हो), पासपोर्ट, सर्विस बुक (सरकारी कर्मचारी के लिए)
इस बदलाव की आवश्यकता क्यों पड़ी?
सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों के मामलों में इजाफा देखा गया है। खासतौर पर दस्तावेजों का दुरुपयोग सरकारी योजनाओं और अन्य कानूनी कार्यों में किया जा रहा था। इस वजह से प्रशासन को नियमों में सख्ती लानी पड़ी ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोका जा सके।
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