दरअसल, R-37M को भारत के सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों में इंटीग्रेट किया जा सकता है। भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल 272 से अधिक सुखोई-30MKI हैं, जो इसे एक गंभीर शक्ति गुणक बना देते हैं। यदि यह मिसाइल भारत के बेड़े में शामिल होती है, तो ये दुश्मनों के लिए किसी काल से कम नहीं होगा।
भारत की मिसाइल तिकड़ी:
1. मेटियोर मिसाइल
फ्रांसीसी मेटियोर मिसाइल पहले से ही भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों का हिस्सा है। 150-200 किलोमीटर की रेंज, एक्टिव रडार होमिंग और "नो एस्केप जोन" की ताकत के चलते यह मिसाइल आधुनिक एरियल डॉगफाइट्स में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
2. स्काई स्टिंग: स्वदेशी विकल्प
DRDO द्वारा विकसित की जा रही स्काई स्टिंग मिसाइल भारत का आत्मनिर्भर जवाब है। यह मिसाइल न केवल Astra MK-2 जैसी मौजूदा मिसाइलों को पूरक करेगी, बल्कि भविष्य में R-37M का घरेलू विकल्प भी बन सकती है। इसकी लंबी रेंज और सटीकता इसे एक गेमचेंजर बना सकती है।
3. Astra Series: मजबूत नींव
Astra MK-1 और MK-2 भारत की पहले से ही सेवामें मौजूद हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज क्रमशः 80-100 और 150 किमी तक है। ये चीन और पाकिस्तान के PL-15E के मुकाबले कहीं अधिक भरोसेमंद और सटीक मानी जा रही हैं।
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