बिहार में 'सरकारी शिक्षकों' के लिए बड़ा अपडेट

पटना। बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति व्यवस्था को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। शिक्षा विभाग के सचिव दिनेश कुमार द्वारा सोमवार को सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को जारी निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि राज्य में पहले से प्रतिनियुक्त सभी शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति 31 जुलाई 2025 तक हर हाल में समाप्त कर दी जाएगी।

इस आदेश के अनुसार, नवनियुक्त प्रधानाध्यापक, प्रधान शिक्षक, विभिन्न चरणों में स्थानांतरित शिक्षक तथा TRE-3 (तीसरी अध्यापक नियुक्ति परीक्षा) से चयनित शिक्षक 31 जुलाई तक संबंधित विद्यालयों में योगदान देंगे। इसके बाद आवश्यकता के अनुसार विद्यालयों में नई प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया ई-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से शुरू की जाएगी।

शिक्षकों की तैनाती होगी डेटा आधारित

शिक्षा विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या और विषयवार आवश्यकता के अनुसार शिक्षकों की वास्तविक स्थिति का आंकलन किया जाए। यदि किसी विद्यालय में विषय विशेष के शिक्षक की कमी है और किसी अन्य विद्यालय में उस विषय के शिक्षक अतिरिक्त रूप से कार्यरत हैं, तो तार्किक व पारदर्शी प्रक्रिया के तहत प्रतिनियुक्ति की जाएगी।

हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी स्थिति में पूर्णकालिक प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक की प्रतिनियुक्ति नहीं की जाएगी। साथ ही जिस विद्यालय से प्रतिनियुक्ति की जा रही है, वहां का शैक्षणिक कार्य बाधित न हो और उस विषय के शिक्षक का पद खाली न रह जाए, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा।

ई-शिक्षाकोष से होगी सभी प्रतिनियुक्तियाँ

1 अगस्त से राज्यभर में सभी प्रतिनियुक्तियाँ केवल ई-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से ही की जाएंगी। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म का उद्देश्य प्रक्रिया को डिजिटल, पारदर्शी और सीमित अवधि (अधिकतम 180 दिन) तक नियंत्रित रखना है। यह कदम राज्य की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने की दिशा में एक और मजबूत प्रयास माना जा रहा है।

समीक्षा के बाद होगी प्रतिनियुक्ति

प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने से पहले प्रत्येक जिले में समीक्षा की जाएगी कि किन विद्यालयों में शिक्षक आवश्यकता से अधिक हैं। इसके बाद संबंधित प्रखंड के जरूरतमंद विद्यालयों में ही उन शिक्षकों को प्रतिनियुक्त किया जाएगा।

शिक्षा में सुधार के लिए कदम

शिक्षा विभाग के इस निर्णय से यह साफ संकेत मिलता है कि सरकार अब विद्यालयों में संतुलित और न्यायपूर्ण शिक्षक वितरण सुनिश्चित करना चाहती है। यह बदलाव ग्रामीण और दूर-दराज के विद्यालयों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायक हो सकता है।

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