Nag Mk-2: भारत के इस मिसाइल से दुनिया हैरान

नई दिल्ली। भारत रक्षा क्षेत्र में लगातार आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, और इसका ताज़ा उदाहरण है अत्याधुनिक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल Nag Mk-2। यह मिसाइल भारतीय सेना की मारक क्षमता को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाली है, और दुनिया भर में इसकी चर्चा हो रही है।

क्या है Nag Mk-2 मिसाइल?

Nag Mk-2, जिसे अब DRDO ने 'HELINA' (Helicopter-launched Nag) और 'SANT' (Stand-off Anti-Tank) जैसे नामों से भी विकसित किया है, भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक उन्नत एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है। यह दूसरी पीढ़ी की 'Nag' मिसाइल का उन्नत संस्करण है, जिसे खासतौर पर दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों, टैंकों और किलेबंद ठिकानों को बेहद सटीकता से नष्ट करने के लिए तैयार किया गया है।

मुख्य विशेषताएं:

1 .फायर एंड फॉरगेट टेक्नोलॉजी: Nag Mk-2 को एक बार लॉन्च करने के बाद इसे लक्ष्य तक पहुंचने के लिए किसी गाइडेंस की आवश्यकता नहीं होती। यह स्वतः लक्ष्य को पहचान कर सटीक वार करती है।

2 .इन्फ्रारेड इमेजिंग सीकर: यह तकनीक मिसाइल को रात और दिन, दोनों में लक्ष्य पहचानने और भेदने में सक्षम बनाती है।

3 .NAMICA एकीकरण: नाग एमके 2 को नाग मिसाइल कैरियर (एनएएमआईसीए) से प्रक्षेपित करने के लिए डिजाइन किया गया है। जिससे इसकी गतिशीलता और परिचालन सीमा बढ़ जाती है।

4 .4 से 7 किमी की रेंज: Nag Mk-2 लंबी दूरी से सटीक हमले करने में सक्षम है, जिससे सैनिक सुरक्षित दूरी से दुश्मन के टैंकों को नष्ट कर सकते हैं।

5 .Top Attack Capability: यह मिसाइल दुश्मन के टैंकों पर उनके सबसे कमजोर बिंदु — ऊपर से — हमला करती है।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व:

Nag Mk-2 का निर्माण 'मेक इन इंडिया' पहल के अंतर्गत किया गया है। यह मिसाइल न केवल भारतीय सेना को आत्मनिर्भर बनाती है, बल्कि विदेशी हथियारों पर निर्भरता भी कम करती है। इससे भारत को वैश्विक रक्षा निर्यातक के रूप में उभरने का अवसर भी मिलता है।

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