क्या है पिनाका Mk-III की खासियत?
1. लंबी मारक दूरी और प्रौद्योगिकीय छलांग
पिनाका Mk-III की सबसे बड़ी विशेषता इसकी लगभग 120 किलोमीटर की अधिकतम रेंज है, जो पिछले Mk-II संस्करण की तुलना में लगभग दोगुनी है। इसमें प्रयुक्त 300 मिमी के रॉकेट, अत्याधुनिक प्रोपल्शन सिस्टम और गाइडेंस टेक्नोलॉजी से लैस हैं, जिससे इसकी सटीकता और विध्वंसक क्षमता दोनों में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
2. रफ्तार और घातकता का मेल
यह सिस्टम 44 सेकंड से भी कम समय में 12 रॉकेट दाग सकता है। युद्ध के मैदान में इसका मतलब है—कम समय में अधिकतम नुकसान। यही नहीं, एक पूरी रेजिमेंट (18 लॉन्चर) द्वारा लगभग 1,000x800 मीटर के क्षेत्र में भारी तबाही मचाई जा सकती है।
3. उन्नत नेविगेशन और सटीकता
इस प्रणाली में GPS और INS आधारित नेविगेशन सिस्टम शामिल हैं, जिससे इसकी Circular Error Probable (CEP) सिर्फ 10 मीटर से कम हो जाती है। यानी यह सिस्टम सटीकता के मामले में बैलिस्टिक मिसाइलों की श्रेणी में खड़ा हो जाता है।
4. मल्टी-रोल वॉरहेड्स
पिनाका Mk-III में हाई-एक्सप्लोसिव, एंटी-टैंक, और इंसेंडियरी वॉरहेड्स जैसे कई प्रकार के रॉकेट लगाए जा सकते हैं, जिससे यह विभिन्न युद्ध परिस्थितियों में बेहद प्रभावी साबित होता है। इसका अगला संस्करण Mk-IV, जिसकी रेंज 300 किलोमीटर तक होगी, पहले से ही विकास की प्रक्रिया में है।
2030 तक का लक्ष्य और निर्यात संभावनाएं
भारतीय सेना का लक्ष्य है कि 2030 तक 22 पिनाका रेजिमेंट्स को पूर्ण रूप से तैनात किया जाए। यह रूसी Grad और Smerch जैसे पुराने सिस्टम्स की जगह लेंगे। साथ ही, हर साल भारत की क्षमता 5000 से अधिक पिनाका रॉकेट बनाने की हो चुकी है। यही वजह है कि आर्मेनिया जैसे देशों को पहले ही यह सिस्टम निर्यात किया जा चुका है और अब फ्रांस सहित कई यूरोपीय देशों ने भी इसमें रुचि दिखाई है।
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