Prithvi-2: जानें भारत के इस मिसाइल की ताकत

नई दिल्ली। भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक सुरक्षा के क्षेत्र में 'पृथ्वी-2' मिसाइल एक अहम भूमिका निभा रही है। यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित सतह से सतह पर मार करने वाली कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित किया गया है। 2003 से भारतीय सेना की ताकत में शामिल यह मिसाइल आज देश की रक्षा प्रणाली की रीढ़ की हड्डी बन चुकी है।

पृथ्वी-2 की ताकत और खासियतें

पृथ्वी-2 मिसाइल की सबसे बड़ी खूबी इसकी मारक क्षमता है, जो 250 से 350 किलोमीटर के बीच है। इसका पेलोड 500 से 1000 किलोग्राम तक हो सकता है, जो इसे पारंपरिक और परमाणु हथियार दोनों के लिए सक्षम बनाता है। इसकी सटीकता भी बेहद प्रभावशाली है, जो 10 से 50 मीटर तक की त्रुटि (CEP) के भीतर लक्ष्यों को निशाना लगाने में सक्षम है।

इस मिसाइल में तरल और ठोस दोनों प्रकार के ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यह विभिन्न ऑपरेशनल परिस्थितियों में अधिक प्रभावी साबित होती है। साथ ही, उन्नत जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली इसे बेहद सटीक और भरोसेमंद बनाती है।

पृथ्वी-2 की त्वरित तैनाती के लिए इसे मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है, जिससे इसे दुश्मन की नजर से बचाकर कहीं भी तेजी से लॉन्च किया जा सकता है। यह सुविधा युद्ध के दौरान रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण होती है।

भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व

पृथ्वी-2 मिसाइल भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के साथ-साथ देश की आत्मनिर्भरता का भी परिचायक है। विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करते हुए, भारत ने स्वदेशी तकनीक के बल पर एक ऐसा हथियार विकसित किया है, जो सीमाओं पर सुरक्षा को दोगुना कर देता है।

यह मिसाइल न केवल हमारे रक्षा बलों को त्वरित और सटीक जवाब देने में मदद करती है, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके विकसित होने से भारत ने अपनी सैन्य शक्ति का प्रभाव बढ़ाया है, जिससे देश की सुरक्षा और सामरिक स्थिति में मजबूती आई है।

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