यह भारत की तकनीकी उत्कृष्टता की उड़ान
तेजस मार्क-2 में अमेरिका निर्मित GE F414 इंजन लगाया गया है, जो इसे तेजस मार्क-1 की तुलना में कहीं अधिक थ्रस्ट और रफ्तार प्रदान करता है। यह इंजन तेजस को न केवल तेज गति से उड़ने की क्षमता देगा, बल्कि उसे ज्यादा पेलोड (हथियार व ईंधन) ले जाने में भी सक्षम बनाएगा।
रडार और सेंसर सिस्टम में आत्मनिर्भरता
इस विमान में स्वदेशी रूप से विकसित AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार लगाया जा रहा है, जो किसी भी लक्ष्य को दूर से भांपने और ट्रैक करने में सक्षम है। इसके साथ ही इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) सिस्टम दुश्मन के स्टील्थ विमानों को भी पहचानने में मदद करेगा।
हथियार प्रणाली में बहुआयामी क्षमता
तेजस मार्क-2 में आधुनिक मिसाइलें, स्मार्ट बम और अन्य हथियार प्रणाली समाहित की जाएंगी। यह विमान हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से समुद्र तक वार करने में सक्षम होगा। इसके माध्यम से भारतीय वायुसेना को एक बहुआयामी मारक क्षमता प्राप्त होगी।
पुराने विमानों की जगह, नई पीढ़ी का युग
भारतीय वायुसेना के पुराने हो चुके जगुआर, मिराज 2000 और मिग-29 जैसे विमानों की जगह तेजस मार्क-2 लेगा। इससे न केवल रखरखाव की लागत में कमी आएगी, बल्कि वायुसेना की परिचालन दक्षता भी बढ़ेगी।
तैनाती और भविष्य की योजना
HAL द्वारा बताया गया है कि तेजस मार्क-2 का पहला प्रोटोटाइप वर्ष 2025 के अंत तक तैयार हो जाएगा और 2026 में इसकी पहली परीक्षण उड़ान की उम्मीद है। पहले चरण में लगभग 110-120 विमानों का ऑर्डर दिया गया है, जिसे आगे चलकर 300 से अधिक विमानों तक बढ़ाया जा सकता है।
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