भारत-रूस: दुनिया में हथियारों की सबसे मजबूत जोड़ी

नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में गहरा और लंबे समय से चलने वाला रिश्ता रहा है। बीते दो दशकों से भारत ने करीब 60 अरब डॉलर के हथियार रूस से खरीदे हैं, जो भारत की कुल रक्षा खरीद का लगभग 65 फीसदी हिस्सा है। हालांकि पिछले कुछ सालों में भारत ने फ्रांस, अमेरिका और इस्राइल जैसे देशों से भी हथियार आयात करना शुरू किया, जिससे रूस की हिस्सेदारी भारत के रक्षा आयात में कम होकर 36 फीसदी रह गई है।

भारत रूसी हथियार पर निर्भर।

भारत की थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ही रूसी हथियारों पर काफी हद तक निर्भर हैं। थलसेना में रूस की एके-203 बंदूकें, टी-90 और टी-72 जैसे टैंक, और बख्तरबंद वाहन प्रमुख हैं। वायुसेना के अधिकतर विमान मिग और सुखोई रूस से आते हैं, साथ ही एमआई-17 हेलीकॉप्टर भी रूस से ही खरीदे जाते हैं। नौसेना में रूस ने भारत को कई सबमरीन और युद्धपोत मुहैया कराए हैं।

कई उन्नत प्रणाली रूस से आते हैं।

इसके अलावा, रूस ने भारत को कई उन्नत रक्षा प्रणालियाँ भी दी हैं जैसे कि एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, रडार, और मिसाइलें शामिल हैं। भारत की ब्रह्मोस मिसाइल, जो अपनी तेज गति और मारक क्षमता के लिए जानी जाती है, रूस के सहयोग से विकसित की गई है।

हथियार निर्यात हो रही है प्रभावित।

हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने रूस के हथियार निर्यात को प्रभावित किया है, लेकिन भारत-रूस की रक्षा साझेदारी अभी भी मजबूत और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनी हुई है। दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग, संयुक्त विकास और सुरक्षा हितों की साझेदारी लगातार बढ़ रही है। इस तरह भारत-रूस की रक्षा साझेदारी न केवल इतिहास की मजबूत मिसाल है, बल्कि भविष्य में भी यह क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभाएगी।

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