क्या है इस अभियान का मकसद?
बिहार में जमीन से संबंधित मामलों को लेकर आम नागरिकों को वर्षों से परेशानी झेलनी पड़ती रही है। डिजिटल जमाबंदी में गड़बड़ियाँ, नामांतरण की लंबी प्रक्रिया और संपत्ति के बंटवारे में विवाद जैसी समस्याएं आम रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार यह महाअभियान चला रही है ताकि इन समस्याओं का मौके पर समाधान हो सके।
अभियान के तहत क्या-क्या होगा?
डिजिटल जमाबंदी में सुधार: जिन जमाबंदियों में त्रुटियाँ हैं, उन्हें दुरुस्त किया जाएगा।
साझी संपत्तियों का बंटवारा: संयुक्त परिवारों में साझा जमीन के विवादों को हल किया जाएगा।
उत्तराधिकार आधारित नामांतरण: वारिसों के नाम पर संपत्ति के नामांतरण को प्राथमिकता से निपटाया जाएगा।
ऑनलाइन रिकॉर्ड से वंचित लोगों को जोड़ा जाएगा: जिनकी जमीन अब तक डिजिटल रजिस्टर में शामिल नहीं हो सकी है, उन्हें इस बार जोड़ा जाएगा।
कैसे होगा काम?
राजस्व विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर जमाबंदी की प्रतियां और आवेदन फॉर्म वितरित करेंगी। इसके बाद पंचायत और गांव स्तर पर शिविर लगाए जाएंगे, जहां लोग अपने आवेदन और आवश्यक दस्तावेज जमा कर सकेंगे। ये शिविर लोगों को अपने जमीन से संबंधित अधिकारों को स्पष्ट और सुरक्षित करने में मदद करेंगे।
तैयारी के लिए बुलाई गई अहम बैठक
इस अभियान की बेहतर रूपरेखा तय करने और ज़मीनी स्तर पर असरदार क्रियान्वयन के लिए 10 अगस्त को पटना के शास्त्रीनगर स्थित राजस्व प्रशिक्षण संस्थान में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी। इसकी अध्यक्षता राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह करेंगे। बैठक में पंचायत प्रतिनिधि, कर्मचारी संगठन और विभिन्न संघों को भी आमंत्रित किया गया है ताकि वे अपनी राय और सुझाव दे सकें।
जनता को क्या फायदा होगा?
लंबित नामांतरण और जमाबंदी के मामले तेजी से निपटेंगे, डिजिटल रिकॉर्ड में सुधार से जमीन की खरीद-बिक्री आसान होगी, पारदर्शिता बढ़ेगी और दलालों की भूमिका घटेगी, जमीन विवादों में कमी आएगी।

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