बिहार में इन 'कर्मियों' के लिए खुशियों का पिटारा

पटना। बिहार में आगामी चुनावों की दस्तक के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार सक्रियता के नए आयाम छू रही है। हाल ही में किए गए एक बड़े फैसले के तहत राज्य सरकार ने विभिन्न स्तरों पर काम करने वाले कर्मियों के मानदेय में अभूतपूर्व बढ़ोतरी का ऐलान किया है। यह निर्णय न केवल इन कर्मियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगा, बल्कि चुनावी माहौल में जनता के एक बड़े वर्ग को भी सीधे तौर पर साधने का प्रयास है।

पत्रकारों को भी मिला सम्मान

मीडिया क्षेत्र से जुड़े पत्रकारों को भी सरकार ने विशेष राहत दी है। अब उन्हें ₹6000 की जगह ₹15,000 मासिक पेंशन मिलेगी। वहीं, जिन पत्रकारों की मृत्यु हो चुकी है, उनके आश्रित पति या पत्नी को अब ₹3000 की बजाय ₹10,000 पेंशन दी जाएगी। यह कदम पत्रकारिता जगत के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है।

रसोइयों और नाइट गार्डों को मिला तोहफा

शिक्षा से जुड़ी सेवाओं में लगे रसोइयों को अब पहले की तुलना में दोगुना यानि ₹1650 की बजाय ₹3300 मासिक मानदेय मिलेगा। इसी तरह नाइट गार्डों की मासिक आमदनी ₹5000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी गई है। यह बदलाव निश्चित ही उन हजारों कर्मियों के लिए राहत लेकर आया है जो लंबे समय से वेतनवृद्धि की मांग कर रहे थे।

शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशकों को मिला सम्मान

राज्य के शारीरिक शिक्षकों और स्वास्थ्य अनुदेशकों को भी सरकार ने बड़ी राहत दी है। इन्हें अब ₹8000 की जगह ₹16,000 प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। यह फैसला शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में भी हुआ इजाफा

स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली आशा और ममता कार्यकर्ताओं को भी सरकार ने निराश नहीं किया। आशा कार्यकर्ताओं को अब ₹1000 की बजाय ₹3000 प्रोत्साहन राशि मिलेगी, जबकि ममता कार्यकर्ताओं को प्रत्येक प्रसव पर ₹300 की जगह ₹600 मिलेंगे। यह न केवल इन कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाएगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करेगा।

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