शिकायत करने वालों की पहचान जरूरी
नई व्यवस्था के तहत अब कोई भी व्यक्ति ग्राम प्रधान के खिलाफ तभी शिकायत दर्ज कर सकेगा, जब वह उसी ग्रामसभा का निवासी हो। शिकायतकर्ता को अपनी पहचान आधार कार्ड या अन्य वैध दस्तावेज के माध्यम से साबित करनी होगी, साथ ही एक शपथ पत्र (हलफनामा) भी प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि केवल वही लोग शिकायत कर सकें, जिनका ग्रामसभा से सीधा सरोकार है।
फर्जी शिकायत पर होगी कार्रवाई
अक्सर यह देखने में आता है कि कुछ लोग व्यक्तिगत रंजिश या राजनीतिक कारणों से ग्राम प्रधानों के खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज करा देते हैं। इससे न केवल प्रधानों का समय और ऊर्जा व्यर्थ होती है, बल्कि विकास कार्य भी प्रभावित होते हैं। अब अगर कोई शिकायत झूठी पाई जाती है, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इससे फर्जी शिकायतों पर स्वतः लगाम लगेगी।
ग्राम प्रधानों ने किया फैसले का स्वागत
राज्य के ग्राम प्रधानों और उनके संगठनों ने सरकार के इस फैसले का गर्मजोशी से स्वागत किया है। ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर पांडेय ने इसे "ग्राम स्तर पर प्रशासनिक गरिमा को स्थापित करने वाला" फैसला बताया है। उनके अनुसार, अब प्रधान पहले की तुलना में ज्यादा निडर होकर विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
लोकतंत्र और जवाबदेही को मिलेगा बल
सरकार का मानना है कि यह निर्णय पंचायतों में बाहरी हस्तक्षेप को कम करेगा और स्थानीय लोकतंत्र को और अधिक मजबूत बनाएगा। जब केवल ग्रामसभा के सदस्य ही शिकायत कर पाएंगे, तो शिकायतें अधिक व्यावहारिक और तथ्यपरक होंगी। साथ ही, प्रधानों की जवाबदेही भी बनी रहेगी क्योंकि फर्जी मामलों में उलझने की जगह अब वे गुणवत्ता पूर्ण कार्यों पर फोकस कर सकेंगे।
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