क्यों ज़रूरी थी यह पहल?
पिछले वर्षों में यह देखा गया कि स्कूलों में बच्चों की भौतिक उपस्थिति और मध्याह्न भोजन योजना (MDM) में दर्शाए गए आंकड़ों में भारी अंतर होता था। अक्सर रिपोर्ट में छात्रों की संख्या अधिक दिखाई जाती थी, लेकिन निरीक्षण में वास्तविक उपस्थिति कम पाई जाती थी। इससे योजना में धांधली की आशंका भी सामने आती रही है।इस नए सिस्टम के लागू होने से अब यह संभव होगा कि जिस बच्चे ने स्कूल में सच में उपस्थिति दर्ज की है, उसी को मध्याह्न भोजन का लाभ मिले। इससे योजना में चल रही गड़बड़ियों पर स्वतः अंकुश लगने की संभावना है।
हाजिरी की प्रक्रिया कैसी होगी?
दरअसल, हर स्कूल को पहले ही जुलाई में टैबलेट उपलब्ध करा दिए गए हैं, जिनमें ई-शिक्षाकोष पोर्टल इन्स्टॉल किया गया है। अब शिक्षकों को मोबाइल फोन के बजाय इन्हीं टैबलेट का उपयोग करके छात्रों और शिक्षकों दोनों की हाजिरी दर्ज करनी होगी।
छात्रों की हाजिरी तीन बार ली जाएगी: सुबह स्कूल में प्रवेश करते समय, टिफिन/मध्याह्न भोजन के समय, स्कूल से छुट्टी के समय। हर बार हाजिरी चेहरे की स्कैनिंग के माध्यम से ली जाएगी, जिससे किसी प्रकार की अनियमितता की गुंजाइश नहीं रहेगी।
शिक्षकों के लिए भी बदलाव
अब शिक्षकों की हाजिरी भी इन्हीं टैबलेट से दर्ज की जाएगी। पहले शिक्षकों को अलग-अलग मोबाइल से स्कैनिंग करनी पड़ती थी, लेकिन अब यह कार्य ज्यादा केंद्रीकृत और सरल हो जाएगा। विभाग की ओर से शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को इस तकनीक के उपयोग के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
संभावित लाभ
शैक्षणिक अनुशासन: तीन बार हाजिरी से बच्चों की नियमितता बढ़ेगी और अनुशासन कायम होगा।
पारदर्शिता में वृद्धि: उपस्थिति का डिजिटल रिकॉर्ड होने से आंकड़ों में हेरफेर की संभावना कम होगी।
डेटा आधारित निर्णय: राज्य शिक्षा विभाग छात्रों की उपस्थिति और प्रदर्शन के आधार पर नीतिगत फैसले ले सकेगा।
मध्याह्न भोजन योजना में सुधार: केवल उपस्थित छात्रों को भोजन मिलेगा, जिससे बजट और भोजन वितरण दोनों में सुधार होगा।
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