1. नाग (Nag): टैंकों का शत्रु
"नाग" एक तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, जिसे दिन और रात, हर मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह मिसाइल "फायर एंड फॉरगेट" तकनीक से लैस है, यानी एक बार लक्ष्य लॉक हो जाने के बाद ऑपरेटर को हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होती। यह दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को अत्यंत सटीकता से नष्ट करने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता लगभग 4 से 7 किलोमीटर है।
2. हेलीना (Helina) / ध्रुवस्त्र: हवा से वार
"हेलीना" या "ध्रुवस्त्र" इस मिसाइल का एयर-टू-ग्राउंड संस्करण है, जिसे हेलीकॉप्टरों से दागा जाता है। यह मिसाइल हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH) और ध्रुव हेलीकॉप्टर से लॉन्च की जा सकती है। इसकी मारक क्षमता करीब 7–8 किलोमीटर तक है और यह दुश्मन के ठिकानों, टैंकों और सैन्य वाहनों को बेहद कुशलता से निशाना बनाती है। ध्रुवस्त्र का उन्नत संस्करण भारतीय वायुसेना में शामिल होने की ओर अग्रसर है।
3. NAMICA (Nag Missile Carrier): मोबाइल शक्ति
NAMICA, यानी Nag Missile Carrier, इस मिसाइल प्रणाली का मोबाइल प्लेटफॉर्म है। इसे BMP-2 चेसिस पर आधारित बनाया गया है और यह एक बार में छह नाग मिसाइलें लॉन्च करने में सक्षम है। इसका प्रयोग थल सेना की अग्रिम पंक्तियों में मिसाइल तैनाती के लिए किया जाता है, जिससे दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद वाहनों को दूर से ही खत्म किया जा सकता है।
सामरिक बढ़त और आत्मनिर्भर भारत
"नाग" मिसाइल प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी है और यह भारत को विदेशी एंटी-टैंक मिसाइलों पर निर्भर रहने से मुक्ति दिलाती है। इससे न केवल सैन्य क्षमता में इज़ाफा हुआ है, बल्कि भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता और तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी मजबूती मिली है।
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