अब कई मोर्चों पर अमेरिका-रूस के बराबर भारत, चीन हैरान

नई दिल्ली। भारत अब केवल उभरती शक्ति नहीं रहा — कई अत्याधुनिक तकनीकी मोर्चों पर वह अब अमेरिका और रूस जैसे सुपरपावर देशों की कतार में खड़ा हो चुका है। हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और इसरो (ISRO) द्वारा विकसित की गई उन्नत प्रणालियों ने दुनिया को चौंका दिया है। स्क्रैमजेट इंजन, क्रायोजेनिक तकनीक, हाइपरसोनिक मिसाइलें और रैमजेट इंजन जैसे क्षेत्रों में भारत ने जो प्रगति की है, वह किसी चमत्कार से कम नहीं मानी जा रही।

स्क्रैमजेट इंजन का विकास: आत्मनिर्भर भारत की छलांग

भारत ने स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन की सफल परीक्षण उड़ान के साथ उस क्लब में जगह बना ली है, जिसमें अब तक अमेरिका, रूस और कुछ हद तक चीन ही थे। स्क्रैमजेट (Supersonic Combustion Ramjet) इंजन, हवा में ऑक्सीजन लेकर उड़ान भरने वाला वह उन्नत इंजन है जो हाइपरसोनिक गति हासिल करने में मदद करता है। DRDO ने इसे हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) के ज़रिए सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

क्रायोजेनिक इंजन: अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता की मिसाल

ISRO ने क्रायोजेनिक इंजन तकनीक के क्षेत्र में भी खुद को स्थापित किया है। यह तकनीक उन गिने-चुने देशों के पास है, जो अत्यधिक वजन वाले उपग्रहों को भूस्थैतिक कक्षा (Geostationary Orbit) में पहुंचा सकते हैं। पहले भारत को इसके लिए रूस पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गया है, और GSLV-Mk III जैसे रॉकेट इसका प्रमाण हैं।

हाइपरसोनिक मिसाइलें: युद्धनीति में बदलाव का संकेत

भारत हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए ऐसी मिसाइलें विकसित कर रहा है, जो आवाज़ की गति से 5 से 7 गुना तेज़ चल सकती हैं। यह तकनीक न केवल दुश्मन की मिसाइल रक्षा प्रणाली को चकमा देती है, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी यह एक बड़ा गेम-चेंजर है। हाइपरसोनिक हथियारों के क्षेत्र में यह प्रगति केवल अमेरिका, रूस और चीन तक सीमित थी — अब भारत भी इस दौड़ में शामिल हो चुका है।

रैमजेट इंजन: सुपरसोनिक तकनीक में महारत

भारत ने पहले ही ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के ज़रिए रैमजेट तकनीक में अपनी विशेषज्ञता साबित कर दी थी। रैमजेट इंजन हवा में ऑक्सीजन का उपयोग करके ईंधन जलाता है, जिससे कम समय में ज़्यादा दूरी तय की जा सकती है। यह तकनीक भारत को सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में आत्मनिर्भर बनाती है, जिससे रक्षा रणनीति को और मज़बूती मिलती है।

0 comments:

Post a Comment