राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में हाल के वर्षों में जबरदस्त इज़ाफा देखने को मिला है। वर्ष 2022 में जहां EV की संख्या 75,998 थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 1,55,889 पर पहुंच चुका है। इस तेज़ विकास के साथ उत्तर प्रदेश अब देश का सबसे बड़ा ईवी उपयोगकर्ता राज्य बन गया है।
प्रत्येक शहर में आधुनिक चार्जिंग हब बनाए जाएंगे
चार्जिंग स्टेशन शहरों के प्रमुख बाजारों, रेस्तरां और अन्य सार्वजनिक स्थलों के पास स्थापित किए जाएंगे, जिससे आम नागरिकों को अधिकतम सुविधा मिल सके। हर स्टेशन के लिए 180 वर्गफीट भूमि निर्धारित की गई है। यहाँ फास्ट और स्लो चार्जर दोनों होंगे, जो दोपहिया, तिपहिया और चारपहिया वाहनों के लिए उपयुक्त होंगे।
इन चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दी जाएगी, जिन्हें "चार्ज पॉइंट ऑपरेटर (CPO)" कहा जाता है। ये कंपनियाँ बिजली बिल, बीमा, कर और उपभोक्ता सेवा जैसे सभी खर्चों की जिम्मेदार होंगी। इसके अलावा, स्टेशनों पर सुरक्षा मानकों का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा।
किन शहरों में कितने चार्जिंग स्टेशन बनेंगे?
उत्तर प्रदेश के 16 शहरों को इस योजना में शामिल किया गया है। शहरवार आंकड़े इस प्रकार हैं: अयोध्या (28), लखनऊ (27), कानपुर (26), प्रयागराज (25), अलीगढ़ (22), मेरठ (22), मथुरा (21), गोरखपुर (21), वाराणसी (20), आगरा (20), फिरोजाबाद (20), शाहजहांपुर (20), झांसी (20), बरेली (16), मुरादाबाद (07) और सहारनपुर (05).
पर्यावरण और विकास—दोनों को लाभ
यह योजना न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देगी, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण और हरित ऊर्जा की दिशा में भी अहम भूमिका निभाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार हरित परिवहन को लेकर प्रतिबद्ध दिख रही है। यह परियोजना न केवल शहरों में प्रदूषण कम करेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगी।
नवाचार और निवेश के नए द्वार खुलेंगे
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की पहलें प्रदेश में नवाचार, निवेश और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देंगी। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अब भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान है—और उत्तर प्रदेश इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।
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