गौरतलब है कि लखनऊ मंडल में पहले से ही रीजनल साइंस सेंटर मौजूद है, इसलिए यहां नया पार्क नहीं बनेगा। बाकी 17 मंडलों में जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है। प्रत्येक साइंस पार्क लगभग एक एकड़ क्षेत्रफल में बनाया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत चार करोड़ रुपये होगी।
बच्चों के लिए अनुभव आधारित और रोचक सीख
इन साइंस पार्कों में छात्रों को विज्ञान की किताबों से बाहर निकलकर उसे जीवंत रूप में देखने और समझने का अवसर मिलेगा। पार्कों में सौरमंडल की झलक, भूकंप सिम्युलेटर, न्यूटन का कैडल, मौसम केंद्र, ऊर्जा के नए मॉडल जैसे 20 से 25 इंटरैक्टिव STEM-आधारित मॉड्यूल्स लगाए जाएंगे। इससे छात्रों में न केवल वैज्ञानिक सोच विकसित होगी, बल्कि वे आपदा प्रबंधन, ट्रैफिक नियमों और आत्मरक्षा जैसे जीवन कौशलों से भी परिचित होंगे।
बाल विज्ञान क्लब और विज्ञान मेले भी होंगे आयोजित
साइंस पार्क सिर्फ देखने और समझने तक सीमित नहीं रहेंगे। यहां बाल विज्ञान क्लब, विज्ञान मेले और STEM गतिविधियां भी आयोजित की जाएंगी, जिससे छात्र खुद प्रयोग कर सकें, कुछ नया बना सकें और अपनी कल्पनाओं को वास्तविकता का रूप दे सकें।
तकनीकी सहयोग से होगा निर्माण
पार्कों के निर्माण और तकनीकी डिज़ाइन में आईआईटी और लखनऊ के आंचलिक विज्ञान केंद्र का सहयोग लिया जाएगा। इन संस्थानों की मदद से ऐसे मॉडल तैयार किए जाएंगे जो बच्चों को प्रयोग, अन्वेषण और कल्पनाशक्ति के लिए प्रेरित करेंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग करेगा संचालन
स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा के अनुसार, इन साइंस पार्कों का निर्माण प्राथमिक रूप से राजकीय इंटर कॉलेजों और राजकीय बालिका इंटर कॉलेजों की जमीन पर किया जाएगा। जहां भूमि उपलब्ध नहीं होगी, वहां नगर निगम के सहयोग से व्यवस्था की जाएगी। पार्क का संचालन शिक्षा विभाग द्वारा किया जाएगा।
शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम
यह पहल उत्तर प्रदेश में विज्ञान और नवाचार को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि इससे बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित होगी और वे भविष्य के वैज्ञानिक, इंजीनियर या शोधकर्ता बनने के लिए प्रेरित होंगे।
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