इस नीति के तहत अब राज्य की सरकारी सेवाओं में दिव्यांग अभ्यर्थियों को मिलने वाले 4 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण और उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकन में मिलने वाले 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं दिव्यांगों को मिलेगा, जो बिहार के निवासी होंगे।
दूसरे राज्यों के उम्मीदवारों को मिल रहा था ज्यादा लाभ
सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब यह देखा गया कि दिव्यांग आरक्षण का लाभ अन्य राज्यों के उम्मीदवारों को अधिक मिल रहा था। इसके चलते बिहार के दिव्यांग अभ्यर्थी आरक्षण के बावजूद नौकरियों और दाखिलों में पीछे रह जा रहे थे। अब इस नई नीति के लागू होने से राज्य के दिव्यांग युवाओं को नौकरी और शिक्षा में उचित अवसर मिलने की उम्मीद है।
सामान्य आरक्षण पर असर नहीं
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि सामान्य श्रेणी में दिए जाने वाले आरक्षण नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। डोमिसाइल नीति केवल दिव्यांग आरक्षण पर लागू होगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कदम सामाजिक न्याय और समावेशन की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि राज्य के संसाधनों का लाभ सबसे पहले बिहार के नागरिकों को मिले, खासकर उन लोगों को जिन्हें समाज में विशेष सहयोग की आवश्यकता है।
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