पाकिस्तान कहां से खरीदता है यूरेनियम? जानिए पूरी खबर

न्यूज डेस्क: पाकिस्तान के परमाणु ऊर्जा और हथियार कार्यक्रमों के लिए यूरेनियम की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। यूरेनियम के बिना, परमाणु ऊर्जा संयंत्र और परमाणु हथियार का विकास संभव नहीं है। इस लिहाज से पाकिस्तान ने यूरेनियम के लिए विभिन्न स्रोतों पर निर्भरता बनाई है, जिनमें घरेलू खनन, विदेशी आयात, और कभी-कभी अवैध नेटवर्क शामिल हैं।

घरेलू उत्पादन

पाकिस्तान में यूरेनियम के कुछ प्राकृतिक संसाधन पाए जाते हैं। 1970 के दशक में बागलचोर खदान यूरेनियम उत्पादन के लिए सक्रिय थी, हालांकि यह स्रोत धीरे-धीरे समाप्त हो गया। इसके अतिरिक्त, काबुल खे़ल और नंगानाई जैसे क्षेत्रों में इन-सिटू लीचिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के जरिए यूरेनियम निकाला जा रहा है। फिर भी, इन घरेलू स्रोतों से मिलने वाला यूरेनियम पाकिस्तान की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

विदेशी आयात

यूरेनियम की कमी को पूरा करने के लिए पाकिस्तान ने विभिन्न देशों से आयात का सहारा लिया है। इतिहास में नाइजर जैसे अफ्रीकी देशों से यूरेनियम की खेपें मिली हैं। 1980 के दशक में चीन से 15 टन यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड और 50 किलोग्राम उच्च-समृद्ध यूरेनियम प्राप्त हुआ। हाल के वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका और नीदरलैंड जैसे देशों से भी यूरेनियम और प्लूटोनियम के कुछ मात्रा में आयात किए जाने की जानकारी मिली है।

अवैध नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय सहयोग

पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की सफलता में डॉ. अब्दुल क़दीर ख़ान की भूमिका अहम रही है। उन्होंने 1980 और 1990 के दशकों में एक अंतरराष्ट्रीय काले बाज़ार नेटवर्क स्थापित किया, जिसके जरिये परमाणु सामग्री की आपूर्ति होती रही। इस नेटवर्क के जरिए पाकिस्तान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाया और साथ ही अन्य देशों को भी सामग्री उपलब्ध कराई।

वर्तमान समय में, पाकिस्तान ने चीन के साथ तकनीकी सहयोग बढ़ाया है ताकि देश में यूरेनियम संसाधनों की खोज और खनन बेहतर ढंग से हो सके। बान्नू बेसिन और कोहाट पठार जैसे क्षेत्रों में इस प्रकार की परियोजनाएं सक्रिय हैं। पाकिस्तान की परमाणु ऊर्जा और हथियार कार्यक्रमों के लिए यूरेनियम की बढ़ती मांग को देखते हुए, पाकिस्तान ने चीन के साथ 2017 में एक तकनीकी सहयोग समझौता किया है।

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