यूपी में बिजली कर्मचारियों पर शिकंजा, बिना जांच हो सकेगी बर्खास्तगी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की विद्युत व्यवस्था से जुड़े कर्मचारियों के लिए एक बड़ा और कड़ा फैसला सामने आया है। प्रदेश सरकार के अधीन कार्यरत उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए एक नया नियम लागू किया है, जिसके तहत बिजली आपूर्ति बाधित करने या उसके प्रयास के मामलों में बिना जांच के ही कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा सकेगा।

क्या है नया नियम?

शुक्रवार को पंचम संशोधन विनियमावली-2025 के तहत जारी आदेश में कहा गया है कि यदि कोई कर्मचारी विद्युत प्रणाली में व्यवधान उत्पन्न करता है या उसके प्रयास में संलिप्त पाया जाता है, और घटना की जांच कर पाना संभव नहीं है, तो ऐसे में बिना विभागीय जांच के ही कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त किया जा सकेगा। इतना ही नहीं, बर्खास्त कर्मचारी को भविष्य में किसी भी सरकारी या निगमित सेवा में नियुक्त नहीं किया जाएगा।

किसे दंड देने का अधिकार?

बता दें की नई व्यवस्था के तहत अब न केवल नियुक्ति प्राधिकारी, बल्कि उससे उच्च अधिकारी भी दंडात्मक कार्रवाई कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त, बर्खास्तगी के साथ-साथ पदावनति (डिमोशन) जैसे अन्य दंडों का भी प्रावधान किया गया है।

आंदोलन रोकने की रणनीति?

बिजली कर्मचारियों के संगठन इस फैसले से खासे नाराज हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की घोषणा की गई है। पावर कॉरपोरेशन को पहले ही इस बाबत नोटिस दिया जा चुका है। कर्मचारी संगठन आरोप लगा रहे हैं कि यह संशोधन आंदोलन को दबाने और कर्मचारियों की आवाज को कुचलने के उद्देश्य से लाया गया है। संगठन का कहना है कि जब तक निजीकरण की प्रक्रिया वापस नहीं ली जाती, आंदोलन और तेज होगा।

कर्मचारियों ने बताया 'अलोकतांत्रिक'

बिजली कर्मियों ने नए नियम को 'अलोकतांत्रिक' और 'एकतरफा' बताया है। संगठन के नेताओं का कहना है कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है और कर्मचारियों के मूल अधिकारों पर कुठाराघात करता है। यदि सरकार ने जल्द यह नियम वापस नहीं लिया, तो पूरे प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र ठप पड़ सकता है।

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