वीर्य बनने की प्रक्रिया कब शुरू होती है?
विशेषज्ञों के अनुसार, आमतौर पर लड़कों में वीर्य बनना 11 से 15 वर्ष की उम्र के बीच शुरू होता है। यह उम्र हर बच्चे में थोड़ी अलग हो सकती है, जो उसके हार्मोनल संतुलन, पोषण, और आनुवांशिक कारकों पर निर्भर करती है। वीर्य का निर्माण टेस्टिकल्स (अंडकोष) में होता है, जहां एक विशेष प्रकार का सेल — स्पर्मेटोज़ोआ यानी शुक्राणु — बनने लगता है। साथ ही शरीर अन्य ग्रंथियों जैसे सेमिनल वेसिकल्स और प्रोस्टेट के माध्यम से वीर्य तरल बनाता है, जिसमें शुक्राणु तैरते हैं।
पहला वीर्य स्खलन कब?
जब लड़कों का शरीर पर्याप्त परिपक्व हो जाता है और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ता है, तो वे नॉक्सटर्नल एमिशन यानी स्वप्नदोष (Wet Dreams) का अनुभव करना शुरू कर सकते हैं। यह आमतौर पर 12 से 16 वर्ष की उम्र में होता है और यही संकेत देता है कि शरीर ने वीर्य बनाना शुरू कर दिया है।
यह बदलाव क्यों होता है?
किशोरावस्था के दौरान पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland) शरीर में ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH) और फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (FSH) छोड़ती है, जो अंडकोष को सक्रिय करते हैं। इसके बाद टेस्टोस्टेरोन नामक पुरुष हार्मोन बनता है, जो शरीर में मर्दाना बदलाव लाता है जैसे कि: आवाज़ का भारी होना, चेहरे और शरीर पर बाल आना, लिंग का विकास आदि।
क्या यह एक चिंता का विषय है?
बिलकुल नहीं। यह पूरी तरह से एक प्राकृतिक और सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि यदि 16-17 साल की उम्र तक भी यौन विकास के कोई संकेत न दिखें, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होता है। कभी-कभी हार्मोनल समस्याएं या पोषण की कमी इसकी वजह हो सकती है।
यौन शिक्षा क्यों हैं जरुरी?
इस विषय पर खुलकर बात करना ज़रूरी है ताकि किशोर सही जानकारी के साथ अपने शरीर को समझ सकें और कोई भ्रांति या शर्म महसूस न करें। किशोरों को यौन शिक्षा देना आवश्यक हैं ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
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