इन प्लांटों की स्थापना से न केवल राज्य की दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। इनमें एक प्लांट ऐसा होगा जहां दूध से मिल्क पाउडर भी बनाया जाएगा, जिससे राज्य को दूध के संरक्षण और विपणन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी।
क्या होगा लाभ?
कृषकों की आय में इजाफा:
ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन एक प्रमुख आजीविका का साधन है। डेयरी प्लांट खुलने से किसानों को दूध का बेहतर मूल्य मिलेगा और उनकी आमदनी में वृद्धि होगी।
स्थानीय रोजगार के अवसर:
इन प्लांटों की स्थापना से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। स्थानीय युवाओं के लिए यह एक सकारात्मक पहल साबित हो सकती है।
दूध उत्पादन और प्रसंस्करण में सुधार:
आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित ये प्लांट दूध के संग्रहण, शुद्धिकरण, पैकेजिंग और परिवहन में गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक होंगे।
राज्य की दुग्ध उत्पादों में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी:
सरकार के इस फैसले से दुग्ध उत्पादों में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और राज्य को दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। साथ ही मिल्क पाउडर के निर्माण से आपातकालीन परिस्थितियों में भी दूध की उपलब्धता बनी रहेगी।
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