शिक्षा विभाग की मानक सीमा और वर्तमान स्थिति
प्राथमिक शिक्षा के लिए शिक्षा विभाग ने एक शिक्षक पर अधिकतम 30 छात्रों की सीमा निर्धारित की है, ताकि हर छात्र को पर्याप्त ध्यान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। लेकिन हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि कई जिलों में यह सीमा पार हो गई है। उदाहरण के तौर पर पूर्णिया में छात्र-शिक्षक अनुपात 37.41 है, जबकि कटिहार में यह 34.94 और अररिया में 35.58 है। इसी प्रकार भागलपुर में 35.4, जमुई में 33.25, बांका में 32.99 और किशनगंज में 31.13 छात्र प्रति शिक्षक हैं। मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, मुंगेर और खगड़िया जैसे जिलों में यह अनुपात 28 से 30 के बीच है।
छात्र-शिक्षक अनुपात का महत्व
शिक्षा में गुणवत्ता के लिए उचित छात्र-शिक्षक अनुपात अत्यंत आवश्यक है। जब एक शिक्षक पर ज्यादा छात्र होते हैं, तो शिक्षक द्वारा प्रत्येक बच्चे को उचित मार्गदर्शन, समय और शिक्षा देना कठिन हो जाता है। इससे बच्चे की सीखने की प्रक्रिया प्रभावित होती है और समग्र शिक्षा स्तर गिर सकता है।
विभाग की समीक्षा और समाधान
शिक्षा विभाग ने 30 जुलाई तक इन जिलों का जिलावार समीक्षा करने का निर्णय लिया है। समीक्षा के बाद, जिन जिलों में शिक्षक तैनाती की कमी है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि शिक्षक वितरण में असंतुलन को दूर करना आवश्यक है ताकि सभी बच्चों को समान अवसर मिल सके। दूसरी चरण में विशेष रूप से पुरुष शिक्षकों की तैनाती पर ध्यान दिया जाएगा।
राज्य में शिक्षक और छात्र की स्थिति
बिहार में कुल 5 लाख 96 हजार से अधिक शिक्षक और करीब 1 करोड़ 77 लाख छात्र सरकारी स्कूलों में नामांकित हैं। राज्य का औसत छात्र-शिक्षक अनुपात लगभग 29:1 है। हालांकि पूर्वी बिहार और सीमांचल क्षेत्र के कुछ जिलों में यह अनुपात इस औसत से कहीं अधिक है। इसलिए इन जिलों को प्राथमिकता सूची में रखा गया है ताकि वहां शिक्षकों की संख्या बढ़ाकर शिक्षा स्तर सुधारा जा सके।
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