गरिमा के साथ जीवन का अवसर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले भी कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि समाज के प्रत्येक वर्ग, विशेषकर बालिकाओं और दिव्यांग जनों को शिक्षा का अधिकार होना चाहिए। सरकार का मानना है कि दिव्यांग छात्राओं को गरिमा के साथ आगे बढ़ने का अवसर देना केवल एक कल्याणकारी कदम नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक नैतिक जिम्मेदारी भी है।
योजना का दायरा और पात्रता
यह स्टाइपेंड उन छात्राओं को मिलेगा जो कक्षा 1 से 8 तक परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं कम्पोजिट विद्यालयों में अध्ययनरत हैं। पात्रता के लिए छात्रा के पास किसी सक्षम चिकित्सा बोर्ड द्वारा जारी न्यूनतम 40% दिव्यांगता का प्रमाण-पत्र होना अनिवार्य है। योजना के अंतर्गत हर पात्र छात्रा को 10 महीनों तक ₹200 प्रतिमाह की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
पारदर्शिता और तकनीक से जुड़ी प्रक्रिया
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता इसकी पारदर्शिता और तकनीक-संचालित वितरण प्रणाली है। स्टाइपेंड की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से सीधे छात्राओं के माता-पिता या अभिभावकों के बैंक खातों में भेजी जाएगी, जिससे बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रहेगी। इसके लिए प्रेरणा, समर्थ और PFMS पोर्टलों का उपयोग किया जाएगा, जिससे संपूर्ण प्रक्रिया डिजिटल, सत्यापित और ट्रैक की जा सकने वाली होगी।
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