योजना की जरूरत और महत्व
दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा की पहुंच और उनकी भागीदारी को बढ़ाना किसी भी समाज की प्रगति का महत्वपूर्ण आधार है। कई दिव्यांग बच्चे, खासकर दृष्टिहीन, बौद्धिक रूप से दिव्यांग, सेरेब्रल पाल्सी पीड़ित या जेई-एईएस जैसे गंभीर रोगों से प्रभावित बच्चे, अकेले स्कूल आना-जाना नहीं कर पाते। ऐसे में एक सहायक व्यक्ति की मदद उनके लिए अनिवार्य हो जाती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस समस्या को समझते हुए इस वर्ग के बच्चों को सहायता देने की दिशा में यह कदम उठाया है।
योजना के मुख्य प्रावधान
लाभार्थी वर्ग: कक्षा 1 से 8 तक के दिव्यांग छात्र जिनकी दिव्यांगता 40% या उससे अधिक प्रमाणित हो, जैसे दृष्टिहीन, बौद्धिक रूप से दिव्यांग, सेरेब्रल पाल्सी पीड़ित, जेई-एईएस प्रभावित व अन्य।
मात्रा और अवधि: बच्चों को 600 रुपये प्रति माह का एस्कॉर्ट एलाउंस 10 महीने तक दिया जाएगा।
कुल बजट: वर्ष 2025-26 के लिए 13,991 गंभीर और बहु-दिव्यांग बच्चों के लिए लगभग 839.46 लाख रुपये की सहायता स्वीकृत की गई है।
वित्तीय व्यवस्था: यह सहायता सीधे डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से बच्चों के बैंक खाते में दी जाएगी।
आवेदन एवं सत्यापन प्रक्रिया: बच्चों की पात्रता ‘प्रेरणा’ और ‘समर्थ’ पोर्टल पर सत्यापित की जाएगी। विद्यालय के प्रधानाध्यापक पात्र छात्रों की पहचान करेंगे, खंड शिक्षा अधिकारी सत्यापन करेंगे, और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अंतिम अनुमोदन करेंगे। इसके बाद आधार और बैंक वेरिफिकेशन के बाद भुगतान होगा।
अन्य शर्तें: बच्चों की नियमित उपस्थिति इस योजना की अनिवार्य शर्त है।
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