नाग पंचमी: इन दो मंत्रों से दूर करें कालसर्प दोष का संकट

धर्म डेस्क। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नाग पंचमी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा कर उनसे सुख-समृद्धि और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है। विशेष रूप से जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए नाग पंचमी का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।

क्या है कालसर्प दोष?

कालसर्प दोष तब माना जाता है जब व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित होते हैं। इस दोष के कारण जीवन में अनेक प्रकार की बाधाएं, मानसिक तनाव, आर्थिक संकट और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां देखी जाती हैं। हालांकि यह ज्योतिषीय दोष है, लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा पड़ता है।

नाग पंचमी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नाग देवता भगवान शिव के प्रिय हैं और नाग पंचमी के दिन उनकी पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को इस दिन विशेष रूप से नागों की पूजा करनी चाहिए और निम्नलिखित दो मंत्रों का श्रद्धा व भक्ति के साथ जाप करना चाहिए।

कालसर्प दोष निवारण के लिए दो विशेष मंत्र

1. महामृत्युंजय मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

यह मंत्र भगवान शिव का परम शक्तिशाली मंत्र है। इसे नाग पंचमी के दिन 108 बार जपने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से राहत मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

2. नाग मंत्र:

ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा॥

इस मंत्र का जाप नाग पंचमी पर नाग देवता की प्रतिमा या चित्र के समक्ष करना चाहिए। यह मंत्र नागों की कृपा प्राप्त करने और कुंडली में स्थित राहु-केतु दोष को शांत करने में सहायक माना जाता है।

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