मिसाइल ताकत में भारत की रैकिंग: जानकार चौंक जाएंगे

नई दिल्ली। आज की वैश्विक राजनीति और रक्षा रणनीतियों में मिसाइल क्षमता किसी भी राष्ट्र की सैन्य ताकत का अहम हिस्सा मानी जाती है। भारत, जो एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है, ने पिछले कुछ दशकों में मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में चौंकाने वाली प्रगति की है। रक्षा विशेषज्ञों और रणनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भारत की मिसाइल क्षमता न केवल एशिया में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मजबूत देशों में गिनी जाती है।

भारत की मिसाइल ताकत: एक झलक

भारत की मिसाइल विकास यात्रा 1983 में शुरू हुई 'इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम' (IGMDP) से। इसके तहत पृथ्वी, अग्नि, आकाश, त्रिशूल और नाग जैसी मिसाइलों का विकास किया गया। आज भारत के पास छोटी दूरी से लेकर इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) तक का बेहतरीन जखीरा है। साथ ही एंटी सैटेलाइट मिसाइल से लेकर हाइपरसोनिक मिसाइल तक मौजूद हैं।

वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति

हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय रक्षा विश्लेषण संस्थानों ने भारत की मिसाइल क्षमता को विश्व की शीर्ष 5 मिसाइल शक्तियों में स्थान दिया है। अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के बाद भारत की मिसाइल तकनीक को चौथे स्थान पर रखा जाता है, जो इस बात का संकेत है कि भारत अब 'टेक्नोलॉजी रिसीवर' नहीं, बल्कि 'टेक्नोलॉजी डोनर' की भूमिका निभा रहा है।

डीआरडीओ की भूमिका

भारत की मिसाइल सफलता की कहानी DRDO (Defence Research and Development Organisation) के बिना अधूरी है। इस संस्था ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद स्वदेशी तकनीक पर जोर देते हुए भारत को आत्मनिर्भर बनाया है।  'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों के तहत कई नई मिसाइल परियोजनाओं को गति दी।

भविष्य की योजनाएँ

भारत अब हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी और मल्टी-प्लेटफॉर्म लॉन्च क्षमताओं की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत ऐसी तकनीकें विकसित कर लेगा जो उसे अमेरिका और रूस के समकक्ष खड़ा कर सकती हैं।

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