क्या है 'रुद्रम'?
‘रुद्रम’ दरअसल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही एक एडवांस एंटी-रेडिएशन मिसाइल श्रृंखला है। इसका उद्देश्य दुश्मन की एयर डिफेंस प्रणाली को ध्वस्त करना है ताकि भारतीय वायुसेना अपने ऑपरेशनों को बिना बाधा के अंजाम दे सके। 'रुद्रम' का नाम भगवान शिव के प्रचंड रूप ‘रुद्र’ से लिया गया है, जो विनाश का प्रतीक माने जाते हैं।
चार मिसाइलें, चार ताकतें
रुद्रम-1 : यह भारत की पहली एंटी-रेडिएशन मिसाइल है, जिसे सुखोई-30MKI जैसे फाइटर जेट्स से दागा जा सकता है। NGARM दुश्मन के रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल स्रोतों को सटीक निशाना बनाकर खत्म करने में माहिर है। इसकी रेंज 100-150 किमी तक मानी जाती है।
रुद्रम-2: यह NGARM का उन्नत संस्करण है, जिसकी रेंज और मारक क्षमता दोनों ही बेहतर हैं। रुद्रम-2 को सुपरसोनिक गति से उड़ने और बेहद सटीकता से लक्ष्य भेदने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी रेंज 200 किमी हैं।
रुद्रम-3: यह मिसाइल हाइपरसोनिक श्रेणी की ओर बढ़ती हुई तकनीक को दर्शाती है। रुद्रम-3 का उद्देश्य न केवल इलेक्ट्रॉनिक टारगेट्स को खत्म करना है, बल्कि इसे बहुउद्देश्यीय वारहेड्स के साथ भी लैस किया जा सकता है। इसकी रेंज 500 किमी हैं।
रुद्रम-4: रुद्रम-4 फिलहाल परीक्षण के चरण में है, इसकी रफ्तार मैक -5 से ज्यादा हो सकती है। साथ ही ये अडवांस एयर डिफेंस सिस्टम को भी यह चकमा दे सकती है।
क्यों डरें चीन और पाकिस्तान?
भारत की ये मिसाइलें पारंपरिक युद्ध शैली को बदलने में सक्षम हैं। युद्ध के दौरान सबसे पहले दुश्मन की निगरानी और संचार प्रणाली को निशाना बनाना, उसकी पूरी युद्ध रणनीति को निष्क्रिय करने जैसा है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए ‘रुद्रम’ एक बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, “रुद्रम मिसाइलें भारत को नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर में एक मजबूत खिलाड़ी बनाती हैं। यह मिसाइलें किसी भी एयर स्ट्राइक मिशन के पहले चरण में सबसे अहम भूमिका निभाएंगी।”
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