ये 6 देश बना रहे हैं छठी पीढ़ी के फाइटर जेट, पढ़ें पूरी डिटेल

न्यूज डेस्क। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अब छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स की होड़ में उतर चुके हैं। जहां पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स जैसे अमेरिकी F-22 रैप्टर और F-35, रूस का Su-57 और चीन का J-20 अभी भी कई देशों के लिए एक सपना हैं, वहीं कुछ देश अब इससे भी एक कदम आगे बढ़कर अगली पीढ़ी के अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों के विकास में जुट गए हैं। इनमें अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, जापान और फ्रांस-इटली-जर्मनी का त्रिपक्षीय गठबंधन शामिल हैं।

छठी पीढ़ी के फाइटर जेट: क्या है खास?

छठी पीढ़ी के फाइटर जेट सिर्फ तेज़, स्टेल्थ और घातक नहीं होंगे, बल्कि वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर युद्ध क्षमता, बिना पायलट के ऑपरेशन (optional manned/unmanned), एनर्जी वेपन्स (जैसे लेज़र) और नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर जैसी क्षमताओं से लैस होंगे। इनका मकसद सिर्फ युद्ध में जीत नहीं, बल्कि युद्ध की परिभाषा को ही बदलना है।

कौन-कौन से देश हैं इस रेस में?

1 .अमेरिका: अमेरिका का 'NGAD' (Next Generation Air Dominance) प्रोजेक्ट सबसे उन्नत चरण में है, जो 6th जनरेशन फाइटर जेट विकसित कर रहा हैं।

2 .चीन: चीन भी अपने छठी पीढ़ी के जेट पर गुप्त रूप से काम कर रहा है। J-20 की सफलता के बाद PLA एयर फोर्स अब पूरी तरह से एक AI आधारित, अत्याधुनिक लड़ाकू विमान तैयार करने में जुटी है।

3 .रूस: Su-57 की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए रूस ने 'MiG-41' नामक प्रोजेक्ट की घोषणा की है, जो छठी पीढ़ी का एक हाइपरसोनिक इंटरसेप्टर होगा।

4 .ब्रिटेन: ब्रिटेन अपने 'Tempest' फाइटर प्रोग्राम पर काम कर रहा है, जिसमें इटली और जापान भी साझेदार हैं। यह फाइटर जेट 2035 तक सेवा में आने की उम्मीद है।

5 .जापान: जापान ने F-X या F-3 फाइटर जेट प्रोजेक्ट की घोषणा की है। यह प्रोजेक्ट घरेलू तकनीक और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के दम पर जापान की सैन्य क्षमताओं को नई ऊंचाई देगा।

6 .फ्रांस-इटली-जर्मनी (FCAS प्रोजेक्ट): इन तीन यूरोपीय देशों ने मिलकर 'Future Combat Air System' (FCAS) की नींव रखी है, जो एक संयुक्त फाइटर जेट और ड्रोन सिस्टम पर आधारित होगा।

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