1. स्वदेशी तकनीक का कमाल
भारत की मिसाइल तकनीक की रीढ़ है DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन)। DRDO ने 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देते हुए कई अत्याधुनिक मिसाइलें विकसित की हैं, जो सटीकता, गतिशीलता और रेंज के मामले में दुनिया की किसी भी आधुनिक मिसाइल प्रणाली से कम नहीं हैं।
उदाहरण के तौर पर, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, जो भारत और रूस की साझा परियोजना है, दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल मानी जाती है। इसकी गति Mach 2.8-3 तक होती है और यह ज़मीन, समुद्र और वायु तीनों से दागी जा सकती है।
2. लंबी दूरी की मारक क्षमता
भारत की अग्नि शृंखला की मिसाइलें इसकी लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता का प्रमाण हैं। अग्नि-1 से लेकर अग्नि-5 तक, हर संस्करण में तकनीकी सुधार हुआ है। अग्नि-5 की मारक क्षमता 5500 किमी से अधिक है, जिससे यह एशिया, यूरोप और कुछ अमेरिकी क्षेत्रों तक पहुंचने में सक्षम है। यह मिसाइल मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक से लैस है, जिससे यह एक साथ कई लक्ष्यों को भेद सकती है।
3. सटीकता में ज़बरदस्त सुधार
भारत की मिसाइलों में Inertial Navigation System (INS), GPS-गाइडेंस, और रडार सीकिंग सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होता है। इससे ये मिसाइलें 'सर्जिकल स्ट्राइक' स्तर की सटीकता के साथ अपने लक्ष्य को भेद सकती हैं।
2019 में 'मिशन शक्ति' के तहत भारत ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (ASAT) का सफल परीक्षण किया था। यह परीक्षण भारत की सटीक मिसाइल तकनीक का एक ऐतिहासिक उदाहरण था, जिसने भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया।
4. रणनीतिक और सामरिक महत्व
भारत की मिसाइल शक्ति सिर्फ तकनीकी प्रदर्शन नहीं, बल्कि रणनीतिक आत्मनिर्भरता और प्रतिरोधक क्षमता का भी प्रतीक है। यह चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा में समझौता नहीं करेगा।
5. भारत की भविष्य की दिशा
भारत अब हाइपरसोनिक मिसाइल, स्वायत्त हथियार प्रणाली, और AI-नियंत्रित गाइडेंस सिस्टम जैसे क्षेत्रों में भी तेज़ी से काम कर रहा है। आने वाले वर्षों में भारत की मिसाइलें न केवल और तेज़ होंगी, बल्कि निर्णय लेने और लक्ष्य पहचानने में भी स्मार्ट होंगी।
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