बिहार में 'जमीन सर्वे' को लेकर बड़ा अपडेट, तुरंत पढ़ें

पटना। बिहार सरकार ने जमीन सर्वेक्षण की प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोकने का बड़ा निर्णय लिया है। यह कदम राज्य भर में 16 अगस्त से 20 सितंबर तक चलने वाले राजस्व महाअभियान को सफल बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस महाभियान में विशेष सर्वेक्षण अमीनों की भूमिका अहम होगी, जो अब सर्वे कार्य छोड़कर शिविरों में राजस्व संबंधित सेवाएं देने में जुटेंगे।

राजस्व महाभियान की जरूरत क्यों पड़ी?

हाल ही में बिहार में जमीन सर्वेक्षण का काम तेजी से चल रहा था और सरकार ने 31 मार्च तक उससे जुड़े दस्तावेज जमा करने की समयसीमा तय की थी। हालांकि, निर्धारित समयसीमा के महीनों बाद भी कई ज़िले और पंचायतों में सर्वे से संबंधित कार्य अधूरे हैं। इस देरी और गड़बड़ियों को सुधारने के लिए सरकार ने 'राजस्व महाभियान' की शुरुआत की, जिससे लोगों को उनके राजस्व संबंधी दस्तावेज़ों में सुधार और अद्यतन करने का एक सुव्यवस्थित मौका मिल सके।

महाभियान के तहत क्या होगा?

राजस्व महाभियान का उद्देश्य केवल जमीन सर्वे रोकना नहीं है, बल्कि लोगों की जमीन से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान करना है। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्य किए जाएंगे: डिजिटाइज्ड जमाबंदियों में मौजूद त्रुटियों को ठीक करना, छूटे हुए मामलों को ऑनलाइन सिस्टम में लाना, उत्तराधिकार और साझी संपत्तियों के बंटवारे से जुड़ी नामांतरण प्रक्रिया को सरल बनाना, घर-घर जाकर दस्तावेज़ उपलब्ध कराना और शिविरों के माध्यम से आवेदन लेना

शिविरों में कैसे होगा काम?

राज्य भर में पंचायत सरकार भवनों या अन्य सरकारी भवनों में शिविर आयोजित किए जाएंगे। हर शिविर में लगभग 10 विशेष सर्वेक्षण अमीन लैपटॉप और इंटरनेट डोंगल के साथ उपस्थित रहेंगे। इनके साथ राजस्व कर्मचारी हर दिन प्राप्त आवेदनों को पोर्टल पर अपलोड करेंगे। यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता लाएगी, बल्कि राजस्व प्रणाली को तकनीकी रूप से भी मजबूत बनाएगी।

लोगों को क्या मिलेगा लाभ?

इस महाअभियान का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आम जनता को बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। अब आवेदन गांव स्तर पर लगाए जाने वाले शिविरों में ही जमा हो सकेंगे। सरकार की टीमें खुद गांवों में जाकर जमाबंदी की प्रतियां और आवेदन फॉर्म वितरित करेंगी। इससे विशेष रूप से ग्रामीण जनता को राहत मिलेगी, जिन्हें अभी तक संपत्ति के कागज़ात दुरुस्त कराने में खासी मशक्कत करनी पड़ती थी।

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