कौन-कौन से भारतीय उत्पाद हुए निशाने पर?
इस फैसले के तहत कपड़े, रत्न-आभूषण, झींगा, कालीन, और फर्नीचर जैसे उत्पादों पर भारी टैक्स लगाया जाएगा। ये वे सेक्टर हैं जो न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाते हैं, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी देते हैं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 60.2 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट पर असर पड़ेगा, और 66% तक का व्यापार प्रभावित हो सकता है। यह आंकड़ा भारत से अमेरिका को होने वाले कुल एक्सपोर्ट का बड़ा हिस्सा है।
अमेरिकी ट्रैरिफ से नुकसान कितना बड़ा है?
2025 में एक्सपोर्ट: 86.5 अरब डॉलर, 2026 का अनुमान: 49.6 अरब डॉलर, कुल गिरावट: 36.9 अरब डॉलर यानी करीब 3.23 लाख करोड़ रुपये। भारत के लिए यह सिर्फ एक आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि एक रोजगार संकट भी हो सकता है। एक्सपोर्ट में 43% तक की गिरावट का मतलब है कि लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं, खासकर टेक्सटाइल, फर्नीचर और मरीन उत्पादों से जुड़े मजदूर वर्ग के लिए।
भारत-अमेरिका के तनाव से किसे मिलेगा फायदा?
जहां भारत की हिस्सेदारी घटेगी, वहीं चीन, वियतनाम, मेक्सिको, तुर्की, पाकिस्तान, नेपाल, ग्वाटेमाला और केन्या जैसे देश उस खाली जगह को भरने के लिए तैयार खड़े हैं। ये देश अमेरिका को समान उत्पाद सस्ते दामों पर भेज सकते हैं, जिससे उनकी एक्सपोर्ट इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा।
विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान, जो पहले ही भारत के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा में हैं, इस मौके को भुनाकर अमेरिका में अपनी मौजूदगी मजबूत कर सकते हैं। पाकिस्तान जैसे देश झींगा और टेक्सटाइल सेक्टर में लाभ ले सकते हैं, जबकि चीन रत्न, फर्नीचर और मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों के जरिए अमेरिका में अपनी पकड़ और गहरी कर सकता है।
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