रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही भारत की मल्टी-लेयर बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) प्रणाली, देश को संभावित मिसाइल हमलों से सुरक्षित रखने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। इस प्रणाली का सबसे नया और महत्वपूर्ण हिस्सा है AD-2 इंटरसेप्टर मिसाइल, जिसे अब विकसित किया जा रहा है।
AD-2: भारत की सुरक्षा का नया प्रहरी
AD-2 इंटरसेप्टर DRDO द्वारा डिजाइन की गई एक उन्नत मिसाइल है, जो अपने पूर्ववर्ती AD-1 का एडवांस संस्करण है। इसे विशेष रूप से बैलिस्टिक मिसाइलों को बहुत ऊंचाई और लंबी दूरी पर नष्ट करने के लिए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य एक ऐसी ढाल बनाना है जो दुश्मन की मिसाइलों को लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही हवा में खत्म कर दे।
तकनीकी विशेषताएं जो AD-2 को खास बनाती हैं
1 .दो-चरणीय ठोस-ईंधन इंजन: AD-2 में दो स्टेज का ठोस ईंधन इंजन है, जो उसे जबरदस्त गति और ऊंचाई तक पहुंचने की क्षमता देता है। इससे यह मिसाइल दुश्मन की मिसाइल को टारगेट करने में बहुत तेज़ी और सटीकता से काम कर सकती है।
2 .250 किमी तक की मारक क्षमता: AD-2 की पहुंच 250 किलोमीटर तक है, जिससे यह दुश्मन की मिसाइलों को अपनी सीमा में प्रवेश करने से पहले ही मार गिरा सकती है।
3 .40 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर इंटरसेप्शन: यह मिसाइल न केवल वायुमंडल के भीतर बल्कि उसके बाहर भी खतरे को पहचान कर कार्रवाई कर सकती है। यह खासियत इसे रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बनाती है।
क्या भारत का सिस्टम 'आयरन डोम' से बेहतर है?
इजरायल का आयरन डोम सिस्टम दुनियाभर में अपनी दक्षता के लिए जाना जाता है, खासकर कम दूरी की रॉकेट और मिसाइल हमलों को रोकने में। लेकिन भारत का मल्टी-लेयर BMD सिस्टम उससे कहीं आगे की सोच के साथ विकसित किया जा रहा है। यह सिर्फ कम ऊंचाई पर ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष तक में दुश्मन की मिसाइलों को रोकने की क्षमता रखता है। AD-2 जैसी मिसाइलें इस सिस्टम को अत्याधुनिक बनाती हैं।
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