CGHS: अब तक की रीढ़, लेकिन अब सुधार जरूरी
CGHS दशकों से केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराती आ रही है। लेकिन बीते दस वर्षों में इसमें कई प्रकार की चुनौतियाँ सामने आई हैं। चाहे वह अस्पतालों की संख्या में सीमितता हो, इलाज में देरी, या कैशलेस सेवाओं की अनुपलब्धता। 7वें वेतन आयोग (2016-2025) के अंतिम चरण में अब सरकार इस दिशा में व्यापक सुधारों की योजना बना रही है, जो संभवतः 8वें वेतन आयोग के तहत लागू हो सकते हैं।
CGEPHIS: क्या हो सकती है नई योजना?
CGEPHIS, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, एक बीमा आधारित स्वास्थ्य योजना होगी। इसके तहत सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारक एक तय प्रीमियम के बदले में स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सकेंगे। इसका उद्देश्य यह है कि: इलाज में कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा मिले, अधिक निजी और सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालों को नेटवर्क में शामिल किया जा सके, सेवा क्षेत्र का विस्तार किया जा सके, जिससे छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों तक भी गुणवत्तापूर्ण इलाज पहुंचे। इससे वर्तमान में CGHS की सीमाओं को पार किया जा सकेगा और सभी लाभार्थियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।
8वें वेतन आयोग की देरी, लेकिन उम्मीदें बरकरार
हालांकि जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अभी तक Term of Reference (ToR) तय नहीं हुआ है। न ही आयोग के अध्यक्ष या सदस्यों की नियुक्ति हुई है। इसके चलते कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति है, लेकिन वे अब भी आशावान हैं कि जब भी आयोग की औपचारिक शुरुआत होगी, तो यह स्वास्थ्य क्षेत्र में भी ठोस और सकारात्मक सिफारिशें लेकर आएगा।
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