मजबूत वृद्धि और बाह्य मोर्चे पर मजबूती
फिच ने भारत की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करते हुए कहा है कि मजबूत वृद्धि दर और बेहतर बाह्य वित्तीय स्थिति भारत की रेटिंग को समर्थन प्रदान करती है। इसके अनुसार चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो वैश्विक औसत से काफी अधिक है। हालांकि, अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 50% टैरिफ से इस अनुमान पर मामूली नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन कुल मिलाकर भारत की वृद्धि की दिशा स्थिर दिखाई दे रही है।
जीएसटी सुधार: वृद्धि को मिल सकता है बल
एक बड़ा कारक जो भारत की आर्थिक संभावनाओं को और सशक्त बना सकता है, वह है वस्तु एवं सेवा कर (GST) का संभावित सुधार। केंद्र सरकार द्वारा गठित मंत्रिसमूह ने पांच और 18 प्रतिशत की द्वि-स्तरीय दर संरचना का प्रस्ताव रखा है, जिसमें मौजूदा 12% और 28% स्लैब को हटाने का विचार है। इससे कर व्यवस्था सरल हो सकती है, उपभोग को बढ़ावा मिल सकता है और अंततः आर्थिक वृद्धि को बल मिल सकता है।
अन्य रेटिंग एजेंसियों का भी सकारात्मक दृष्टिकोण
फिच की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अन्य वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भी भारत को लेकर सकारात्मक रुख अपना रही हैं। एसएंडपी ने 18 वर्षों के बाद भारत की साख को ‘BBB-’ से बढ़ाकर ‘BBB’ किया है। इसी तरह मॉर्निंग डीबीआरएस ने भी मई में भारत की रेटिंग को सुधारात्मक नीतियों और संरचनात्मक बदलावों के आधार पर ‘BBB’ कर दिया।
आपको बता दें की इन सभी एजेंसियों ने भारत की दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता पर भरोसा जताया है। भारत की जनसंख्या संरचना (Demographics), निरंतर सरकारी पूंजी निवेश और निजी क्षेत्र की भागीदारी इसकी विकास यात्रा को समर्थन दे रहे हैं।
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