अंतरिक्ष में सुपरपावर बनने की रेस: ये 4 देश सबसे आगे!

नई दिल्ली। 21वीं सदी की सबसे बड़ी वैज्ञानिक और रणनीतिक दौड़ अब ज़मीन पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में लड़ी जा रही है। तकनीक, ताकत और टैलेंट के बल पर दुनिया की महाशक्तियाँ अब ब्रह्मांड में वर्चस्व कायम करने के लिए पूरी ताक़त झोंक रही हैं। अमेरिका, चीन, रूस और भारत ये चार देश आज अंतरिक्ष की इस होड़ में सबसे आगे हैं।

अमेरिका: स्पेस लीडरशिप

नासा दशकों से स्पेस की दुनिया में अग्रणी रहा है। अपोलो मिशन से लेकर अब आर्टेमिस प्रोग्राम तक, अमेरिका चाँद और मंगल दोनों पर मानव मिशन की तैयारी कर रहा है। प्राइवेट कंपनियाँ जैसे स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन भी अमेरिका की स्पेस ताकत को नई ऊँचाइयाँ दे रही हैं।

चीन: तेजी से उभरती अंतरिक्ष शक्ति

चीन ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। अपना स्पेस स्टेशन 'तियांगोंग' स्थापित करना हो या चंद्रमा और मंगल पर मिशन भेजना, चीन एक के बाद एक सफलता हासिल कर रहा है। उसका दीर्घकालिक लक्ष्य चाँद पर बेस बनाना और मंगल पर इंसानों को भेजना है।

रूस: अनुभव और तकनीक का संगम

सोवियत संघ के समय से ही रूस अंतरिक्ष में अग्रणी रहा है। पहला सैटेलाइट 'स्पुतनिक' और पहला मानव 'यूरी गागरिन' भेजने वाला देश होने का गौरव उसे हासिल है। आज भी रूस स्पेस टेक्नोलॉजी और लॉन्चिंग में एक बड़ी शक्ति बना हुआ है, हालाँकि हाल के वर्षों में आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का असर उसके मिशनों पर पड़ा है।

भारत: कम लागत में बड़ी सफलता

भारत ने कम संसाधनों में चमत्कार कर दिखाया है। इसरो के मिशन मून (चंद्रयान) और मंगल (मंगलयान) ने दुनिया को चौंका दिया। 2023 में चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मानचित्र पर शीर्ष पर पहुँचा दिया। अब गगनयान के ज़रिए भारत मानव मिशन की तैयारी कर रहा है।

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