बिहार में सभी "सरकारी स्कूलों" की होगी जांच

पटना। बिहार सरकार ने राज्य के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत राज्य के सभी 71,523 प्रारंभिक विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं की व्यापक जांच की जाएगी। जांच पूरी होने के बाद, स्वतंत्रता दिवस के बाद से सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।

जांच का उद्देश्य और क्रियान्वयन

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर सरकारी विद्यालय में बच्चों को एक सुरक्षित, स्वच्छ और सुविधाजनक शैक्षणिक वातावरण मिल सके। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने इस कार्य के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली है। इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन को सौंपी गई है, जिसे जिलाधिकारी की निगरानी में लागू किया जाएगा।

शिक्षकों की नियुक्ति का मानक

विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों की संख्या पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। नीति के अनुसार, हर प्राथमिक विद्यालय में न्यूनतम तीन और प्रत्येक मध्य विद्यालय में कम से कम आठ शिक्षकों की तैनाती अनिवार्य होगी। जिन विद्यालयों में शिक्षक कम हैं, वहां आवश्यकता के अनुरूप शीघ्र नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए आवश्यक आंकड़े राज्य के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से लिए जा रहे हैं।

बुनियादी सुविधाओं का विकास

सरकार ने पहले ही विद्यालयों को आवश्यक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए धनराशि जारी कर दी है। इस राशि का उपयोग कर स्कूलों में विद्युतीकरण, पर्याप्त रोशनी (बल्ब व ट्यूबलाइट), पंखों की स्थापना, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, और बैठने की उपयुक्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही बेंच और डेस्क के मरम्मत कार्य भी कराए जाएंगे।

वित्तीय प्रबंधन और जवाबदेही

प्रत्येक विद्यालय को ₹50,000 की राशि आकस्मिक निधि के रूप में दी जाएगी। यह धनराशि जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा प्रदान की जाएगी, जिसका उपयोग विद्यालय प्रमुख अपनी जरूरतों के अनुसार करेंगे। खर्च किए गए धन का उपयोगिता प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित हो सके। कार्यों के पूरा होने के बाद, पुनः जिला स्तर पर सुविधाओं की जांच की जाएगी।

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