बिहार में इन लोगों को 1500 रुपये देगी सरकार

पटना। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत बिहार में टीबी मरीजों के लिए सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन के अनुसार, जैसे ही किसी मरीज की टीबी की पुष्टि होती है, उसके बैंक खाते में 1500 रुपये की एडवांस राशि भेजी जाएगी। यह राशि मरीजों को उनके पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दी जाएगी।

84 दिनों बाद मिलेगी दूसरी किस्त

जिला यक्ष्मा केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, मरीज के इलाज की शुरुआत के 84 दिनों बाद दूसरी किस्त के रूप में फिर से 1500 रुपये दिए जाएंगे। यदि किसी मरीज का इलाज छह महीने से अधिक चलता है, तो उसे हर महीने 500 रुपये की अतिरिक्त सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य टीबी मरीजों को वित्तीय राहत प्रदान करना और इलाज की प्रक्रिया में निरंतरता सुनिश्चित करना है।

टीबी चैंपियंस को मिलेगा स्पुटम करियर बनने का मौका

नई गाइडलाइन में एक और अहम बदलाव यह किया गया है कि अब टीबी चैंपियंस को स्पुटम करियर यानी बलगम सैंपल पहुंचाने का काम भी सौंपा जाएगा। इसके लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। मरीज का बलगम नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने पर 200 रुपये की राशि दी जाएगी। 

वहीं, प्राथमिक केंद्र से जिला टीबी सेंटर तक बलगम पहुंचाने पर 400 रुपये का प्रोत्साहन मिलेगा। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इस पहल से टीबी चैंपियंस को आर्थिक मदद के साथ सामाजिक पहचान भी मिलेगी, जिससे टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को मजबूती मिलेगी।

निजी डॉक्टरों और अस्पतालों को भी मिलेगा भुगतान

राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत निजी डॉक्टरों, क्लिनिक और अस्पतालों को भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई निजी संस्था टीबी मरीज का नोटिफिकेशन करती है, तो 500 रुपये की राशि दी जाएगी। वहीं, मरीज का इलाज पूरा होने पर और सक्सेसफुल आउटकम रिपोर्ट देने पर अतिरिक्त 500 रुपये का भुगतान किया जाएगा।

सरकार की मंशा: 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना

सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाया जाए। इस दिशा में बिहार की यह पहल टीबी मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों को साथ जोड़ने का एक मजबूत कदम मानी जा रही है। आर्थिक सहायता, बेहतर निगरानी और सामाजिक भागीदारी के माध्यम से इस जानलेवा बीमारी पर काबू पाने की रणनीति अपनाई जा रही है।

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