5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट जैसी ताकत
इस अपग्रेड के बाद Su-30MKI को लगभग SU-57 जैसी क्षमताओं से लैस किया जाएगा, जो रूस का 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है। अपग्रेडेड वर्जन न केवल दुश्मन के रडार से बच निकलने में सक्षम होगा, बल्कि हवा में किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब भी दे सकेगा।
'विरूपाक्ष' AESA रडार – गेम चेंजर तकनीक
'सुपर सुखोई' में सबसे बड़ा बदलाव होगा इसका नया "विरूपाक्ष AESA रडार", जो कि गैलियम नाइट्राइड (GaN) टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसमें करीब 2,400 ट्रांसमिट/रिसीव मॉड्यूल्स होंगे, जो इसे 300 से 400 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के स्टील्थ लड़ाकू विमानों की पहचान करने में सक्षम बनाएंगे। यह रडार दुनिया के किसी भी आधुनिक AESA सिस्टम को टक्कर देने की क्षमता रखता है और विशेष रूप से J-20 और J-35A जैसे चीनी फाइटर जेट्स का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया है।
अस्त्र Mk-III से लैस होगा 'सुपर सुखोई'
नए अपग्रेड में Su-30MKI को देश में विकसित की गई लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल "अस्त्र Mk-III" से भी लैस किया जाएगा। यह मिसाइल 300 किमी तक की मारक क्षमता रखती है और इसे 'फायर एंड फॉरगेट' सिस्टम से लैस किया गया है।
चीनी J-35A को दे सकता है टक्कर
IAF के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सुपर सुखोई अपग्रेड के बाद यह विमान चीनी J-35A स्टील्थ फाइटर को भी पछाड़ने की क्षमता रखेगा। उल्लेखनीय है कि J-35A को पाकिस्तान वायुसेना अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रही है, ऐसे में भारत की यह तैयारी रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है।
स्वदेशीकरण को मिलेगा बढ़ावा
इस परियोजना के तहत अधिकांश तकनीकी और अपग्रेड स्वदेशी रूप से DRDO और HAL द्वारा किए जाएंगे, जिससे भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। इससे विदेशी निर्भरता में भारी कटौती होगी और देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकेगा।
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