Nag Mk-2 की दहाड़: भारत की ताकत ने दुनिया को चौंकाया!

नई दिल्ली — भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए अपनी नई पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल Nag Mk-2 को तैयार कर लिया है। पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित इस मिसाइल ने अपनी उन्नत क्षमताओं से वैश्विक रक्षा विश्लेषकों को हैरान कर दिया है।

"दागो और भूल जाओ"

Nag Mk-2 एक तीसरी पीढ़ी की "फायर एंड फॉरगेट" एटीजीएम है, जिसे लॉन्च करने के बाद ऑपरेटर को लक्ष्य पर मार्गदर्शन करने की आवश्यकता नहीं होती। यह मिसाइल लक्ष्य पर स्वतः लॉक-ऑन हो जाती है और अत्यंत सटीकता से उसे भेद देती है।

हर मौसम में घातक वार

इस मिसाइल की सबसे खास बात यह है कि यह सभी मौसमों में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकती है, चाहे धुंध हो, बारिश या रात का अंधेरा। इसका मतलब है कि भारतीय सेना को अब किसी भी परिस्थिति में टैंक रोधी कार्रवाई करने में कठिनाई नहीं होगी।

रेंज और मारक क्षमता में भारी उन्नति

Nag Mk-2 की रेंज 7 से 10 किलोमीटर तक है, जो इसके पूर्ववर्ती नाग Mk-1 की तुलना में कहीं अधिक है। साथ ही यह मिसाइल विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच (ERA) से लैस आधुनिक बख्तरबंद वाहनों को भी निष्क्रिय करने की क्षमता रखती है।

NAMICA के साथ पूरी तरह एकीकृत

यह घातक मिसाइल NAMICA (Nag Missile Carrier) प्लेटफॉर्म से लॉन्च की जाती है, जो एक ट्रैक्ड वाहन है और इसे विशेष रूप से नाग मिसाइलों के लिए डिजाइन किया गया है। यह मोबाइल यूनिट इसे युद्ध के मैदान में त्वरित और सटीक हमले के लिए उपयुक्त बनाती है।

स्वदेशी विकास की बड़ी उपलब्धि

Nag Mk-2 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है, और यह एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) का हिस्सा है। इसका निर्माण पूरी तरह भारत में हुआ है, जो आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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