हाइपरसोनिक मिसाइल: आवाज़ की रफ्तार से कई गुना तेज
हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसी हथियार प्रणालियाँ हैं जो मैक 5 (ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक) या उससे अधिक की रफ्तार से उड़ान भर सकती हैं। इतनी तेज रफ्तार पर किसी भी मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इन्हें ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल होता है।
भारत ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) के सफल परीक्षण के साथ इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित इस तकनीक से भविष्य में देश को हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें विकसित करने की क्षमता मिलेगी।
एंटी-सैटेलाइट मिसाइल: अंतरिक्ष में भी भारत की पकड़
27 मार्च 2019 को भारत ने 'मिशन शक्ति' के तहत सफलतापूर्वक एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया। इस परीक्षण में एक लाइव सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में मार गिराया गया। इसके साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन गया जो अपने दम पर दुश्मन के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ही खत्म कर सकता है। यह क्षमता भारत की स्पेस डिफेंस रणनीति को मजबूती प्रदान करती है और युद्ध के संभावित नए आयाम—स्पेस वारफेयर—के लिए देश को तैयार करती है।
क्यों अहम है ये क्षमता?
इन दोनों मिसाइल तकनीकों का मिलना किसी भी देश को डिटेरेंस पावर यानी प्रतिरोधक शक्ति देता है। इससे दुश्मन देश पहले ही सोचने पर मजबूर हो जाता है कि हमला करने के नतीजे क्या हो सकते हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलें दुश्मन के रणनीतिक ठिकानों को कुछ ही मिनटों में ध्वस्त कर सकती हैं। जबकि ASAT मिसाइलें दुश्मन की सैटेलाइट क्षमताओं को खत्म कर उसकी संचार और नेविगेशन व्यवस्था को पंगु बना सकती हैं।
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