राफेल के बाद अगला बड़ा कदम
हाल ही में भारत ने फ्रांस से 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से 26 राफेल एम लड़ाकू विमान खरीदने का ऐतिहासिक सौदा किया। अब एक और बड़ा रक्षा सौदा बनने की संभावना है, जिसमें भारत और फ्रांस के सेफ्रान समूह के बीच लड़ाकू जेट इंजन के सह-विकास को लेकर समझौता हो सकता है। यह इंजन भारत के पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए होंगे।
यह डील न सिर्फ एक तकनीकी साझेदारी होगी, बल्कि यह भारत की रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता की नींव भी रखेगी। वर्तमान में भारत जेट इंजन तकनीक के लिए पूरी तरह से अन्य देशों पर निर्भर है, और यह निर्भरता अक्सर रणनीतिक देरी का कारण बनती है — जैसा कि तेजस लड़ाकू विमान कार्यक्रम के मामले में देखा गया है।
तेजस की देरी और उससे मिले सबक
तेजस प्रोजेक्ट में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के F404 इंजन पर निर्भरता ने भारत को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया है। इंजन आपूर्ति में हुई देरी ने तेजस की प्रगति को दो साल से अधिक पीछे कर दिया। ऐसे समय में जब भारतीय वायुसेना पहले ही कम होती स्क्वाड्रन संख्या से जूझ रही है, यह देरी सामरिक दृष्टि से अत्यंत चिंताजनक रही। इस अनुभव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर भारत को अपने रक्षा कार्यक्रमों को समय पर पूरा करना है, तो उसे महत्वपूर्ण प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करनी ही होगी।
रणनीतिक साझेदारी की नई ऊंचाई
रिपोर्टों के अनुसार, भारत को आने वाले वर्षों में 250 से अधिक अगली पीढ़ी के फाइटर जेट इंजनों की आवश्यकता होगी। फ्रांस के साथ 120kN इंजन के सह-विकास पर संभावित डील की लागत लगभग ₹61,000 करोड़ हो सकती है, जो भारत के इतिहास के सबसे बड़े रक्षा सौदों में से एक होगी। यह सौदा सिर्फ एक तकनीकी सहयोग नहीं, बल्कि भारत और फ्रांस के बीच गहराते रणनीतिक विश्वास का प्रतीक भी है।
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