बिहार में "जमीन की रजिस्ट्री'' को लेकर नया नियम

न्यूज डेस्क। बिहार सरकार ने जमीन रजिस्ट्री प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी, सरल और त्वरित बनाने की दिशा में एक नई व्यवस्था लागू की है। विशेष रूप से मुजफ्फरपुर जिले से शुरू हुई यह व्यवस्था जल्द ही राज्य के अन्य जिलों में भी लागू की जा सकती है। इस नए नियम के तहत अब जमीन की रजिस्ट्री होते ही उसका डिजिटल दस्तावेज (केवाला) संबंधित पक्षों के मोबाइल नंबर पर लिंक के रूप में भेजा जा रहा है।

अब मोबाइल पर मिलेगा रजिस्ट्री का लिंक

अब तक की प्रक्रिया में रजिस्ट्री के बाद दस्तावेज प्राप्त करने में समय लगता था। कभी-कभी यह शाम तक या अगले दिन ही मिल पाता था। साथ ही यह केवल खरीदार को ही उपलब्ध होता था, जिससे विक्रेता को जानकारी न होने के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी। लेकिन इस नई प्रणाली के लागू होने के बाद जैसे ही जमीन की रजिस्ट्री पूरी होती है, उसी क्षण खरीदार और विक्रेता दोनों को एक लिंक प्राप्त हो जाता है, जिससे वे अपना दस्तावेज डाउनलोड कर सकते हैं।

पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर

सरकार का उद्देश्य इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है ताकि भविष्य में जमीन से जुड़े विवादों की संभावना को न्यूनतम किया जा सके। पहले कई बार यह देखने को मिलता था कि रजिस्ट्री के महीनों बाद विक्रेता यह दावा करता था कि उससे अधिक जमीन रजिस्ट्री करवा ली गई है। अब जब दोनों पक्षों के पास तुरंत सभी दस्तावेज पहुंच जाएंगे, तो किसी भी तरह की गलतफहमी या धोखाधड़ी की गुंजाइश काफी हद तक खत्म हो जाएगी।

दस्तावेज की पुष्टि करना होगा ज़रूरी

हालांकि नई प्रणाली बेहद फायदेमंद है, लेकिन इसके साथ एक जिम्मेदारी भी जुड़ी हुई है। रजिस्ट्री बटन दबाने के बाद दस्तावेज अपलोड हो जाता है और फिर उसमें कोई बदलाव संभव नहीं होता। इसलिए दस्तावेज पर दस्तखत करने से पहले खरीदार और विक्रेता दोनों को सभी तथ्यों और कागजात की अच्छी तरह से जांच कर लेनी चाहिए। एक बार दस्तखत हो जाने के बाद कोई भी सुधार संभव नहीं होगा।

कार्यालय से भी मिल रहा त्वरित दस्तावेज

जो लोग डिजिटल दस्तावेज के बजाय भौतिक कॉपी चाहते हैं, वे रजिस्ट्री के तुरंत बाद निबंधन कार्यालय से ही प्रिंटेड कॉपी प्राप्त कर सकते हैं। इससे लोगों को बार-बार कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

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