1. हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम:
भारत का Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) दुनिया के उन चुनिंदा हथियारों में गिना जा रहा है, जो मच 6 (ध्वनि से 6 गुना तेज़) की रफ्तार से दुश्मन पर कहर बनकर टूट सकते हैं। अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों की कतार में खड़े होकर भारत का DRDO अब ब्रह्मोस-2 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें लॉन्च करने की तैयारी में है।
2. लेजर वेपन सिस्टम (Directed Energy Weapons):
DRDO द्वारा विकसित किए जा रहे ADITYA और DURGA-II जैसे Directed Energy Weapons (DEW) युद्ध की तस्वीर ही बदल देंगे। इन हथियारों से मिसाइल, ड्रोन या फाइटर जेट जैसे लक्ष्य बिना आवाज़ के सिर्फ लेजर की किरणों से राख में बदले जा सकते हैं।
3. AI आधारित रोबोटिक युद्ध प्रणाली: युद्ध अब मशीनों के भरोसे
“जंग में अब जवान नहीं, AI उतरेगा।” ये बात अब कल्पना नहीं, हकीकत बन चुकी है। DRDO और भारतीय सेना मिलकर ऐसे मानवरहित टैंक, ड्रोन और रोबोटिक्स सिस्टम बना रहे हैं जो खतरनाक इलाकों में सैनिकों की जगह युद्ध लड़ सकें। ALPHA, WARRIOR UGVs और Abhyas जैसे सिस्टम सीमावर्ती और ऊंचाई वाले इलाकों में खासतौर पर उपयोगी होंगे।
4. क्वांटम रडार और AI कमांड सिस्टम: अदृश्य खतरों पर भी नजर
भविष्य के युद्ध में सूचना सबसे बड़ा हथियार होगी। भारत अब क्वांटम रडार, AI-बेस्ड बैटल मैनेजमेंट सिस्टम और साइबर स्पेस वॉरफेयर में झंडा गाड़ रहा है। यह तकनीक दुश्मन के किसी भी इलेक्ट्रॉनिक और जासूसी प्रयास को नाकाम करने में सक्षम होगी। Quantum Communication और AI Response Systems से लैस भारत का सैन्य नेटवर्क न सिर्फ खतरे की पहचान करेगा, बल्कि उससे निपटने की रणनीति भी स्वतः बना पाएगा।
5 .एंटी-सैटेलाइट वेपन (ASAT) और स्पेस फोर्स: अंतरिक्ष में निर्णायक बढ़त
2019 के मिशन शक्ति के तहत भारत ने अंतरिक्ष में एक सक्रिय सैटेलाइट को मार गिराकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। अब भारत इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए ASAT-II और Space Surveillance & Attack Network (SSAN) जैसी तकनीकों पर काम कर रहा है। इसका मतलब साफ है – अब जंग सिर्फ जमीन या समुद्र पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी लड़ी जाएगी और भारत इसके लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है।
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