"ॐ नमः शिवाय"
"ॐ नमः शिवाय" पंचाक्षर मंत्र है, जिसमें ‘ॐ’ ब्रह्माण्ड का सर्वशक्तिमान ध्वनि है और ‘नमः शिवाय’ का अर्थ है “शिव को प्रणाम”। यह मंत्र शिव के सभी रूपों और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है। इसे जपने से मन की शुद्धि होती है, मानसिक तनाव कम होता है और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
108 बार जप का महत्व
संख्या 108 को हिन्दू धर्म, योग और ज्योतिष में अत्यंत पवित्र माना गया है। इसका आध्यात्मिक और वैज्ञानिक आधार भी है। माना जाता है कि शरीर के 108 ऊर्जा केंद्र होते हैं और ब्रह्माण्ड में भी 108 महत्वपूर्ण तत्व मौजूद हैं। इसलिए, "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जप करने से यह ऊर्जा केंद्र सक्रिय होते हैं, जिससे मन, शरीर और आत्मा में संतुलन आता है।
इस मंत्र की जप विधि
सावन सोमवार के दिन या किसी भी शिवपूजा के अवसर पर आप इस मंत्र का जप कर सकते हैं। शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर, रुद्राक्ष की माला या किसी अन्य माला की सहायता से हर मनके पर मंत्र का उच्चारण करें। जप करते समय मन को पूर्ण एकाग्रता और भक्ति में लगाएं। सुबह के ब्रह्ममुहूर्त में या शाम के समय यह जप अत्यंत फलदायक माना गया है।
सावन सोमवार की विशेषता:
जलाभिषेक और बेलपत्र अर्पण से शिव प्रसन्न होते हैं।
सुबह 4–6 बजे का ब्रह्ममुहूर्त मंत्र जप के लिए अत्यंत शुभ होता है।
उपवास और सात्विक आहार से शरीर और मन की शुद्धि होती है।
प्रत्येक सोमवार "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जप शुभ माना गया है।
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