मोबाइल की लत बना रही है बच्चों को बीमार, ये खतरे कर देंगे आपको हैरान!

हेल्थ डेस्क। आज के डिजिटल दौर में मोबाइल फोन केवल एक संचार माध्यम नहीं, बल्कि बच्चों की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन गया है। हालांकि, जब इसका इस्तेमाल सीमाओं से बाहर निकल जाए, तो यही तकनीक बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए गंभीर खतरा बन जाती है।

आंखों और दिमाग पर लगातार दबाव

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल आंखों की रोशनी पर नकारात्मक असर डालता है। लगातार स्क्रीन देखने से आंखों में जलन, धुंधला दिखना और सिरदर्द आम हो जाते हैं। लेकिन इससे भी अधिक खतरनाक बात यह है कि नीली रोशनी मस्तिष्क को सक्रिय बनाए रखती है, जिससे बच्चा मानसिक रूप से थका हुआ तो होता है, लेकिन सो नहीं पाता।

नींद पर सबसे पहला हमला

रात को सोने से पहले मोबाइल चलाना अब एक आम आदत बन गई है – चाहे बच्चों में हो या बड़ों में। लेकिन बच्चों के मामले में इसका असर कहीं ज्यादा गंभीर होता है। मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट दिमाग को यह संकेत देती है कि अभी नींद का समय नहीं हुआ है। इससे न केवल नींद आने में देरी होती है, बल्कि नींद की गुणवत्ता भी काफी खराब हो जाती है।

किशोरावस्था में बढ़ते खतरे

किशोर उम्र में दिमाग तेजी से विकसित हो रहा होता है। इस दौरान नींद की कमी, असंतुलित दिनचर्या और अत्यधिक स्क्रीन टाइम, ब्रेन के सामान्य विकास में रुकावट डालते हैं। सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम्स बच्चों को नींद की जगह उत्तेजना और फालतू की व्यस्तता दे रहे हैं।

छोटे बच्चों पर गंभीर असर

छोटे बच्चे जब रात को मोबाइल पर कार्टून या वीडियो देखते हैं, तो वे अत्यधिक उत्तेजित हो जाते हैं। यह हाइपरएक्टिव बिहेवियर उन्हें गहरी नींद नहीं लेने देता। नतीजतन, उनकी ग्रोथ और इम्यून सिस्टम पर भी असर पड़ सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं, लगातार मोबाइल में लगे रहने वाले बच्चों की सोशल स्किल्स भी कमजोर हो जाती हैं। वे दूसरों के साथ बातचीत करने, अपनी भावनाएं व्यक्त करने या सामने वाले की बात समझने में असमर्थ रहते हैं।

पढ़ाई और परफॉर्मेंस पर असर

फोन के कारण बार-बार ध्यान भटकता है। जब बच्चा हर पांच मिनट में नोटिफिकेशन देखता है या गेम में उलझा रहता है, तो स्वाभाविक है कि उसकी एकाग्रता टूटती है। यह सीधे तौर पर उसकी पढ़ाई और अकादमिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है।

गर्दन और पीठ का दर्द

मोबाइल का लंबे समय तक इस्तेमाल बच्चों की शारीरिक मुद्रा पर भी बुरा असर डालता है। लगातार झुक कर या एक ही पोज़िशन में बैठकर फोन देखने से पीठ और गर्दन में दर्द, कंधों में जकड़न जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

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