अमेरिका और चीन की नौसेना में कौन ताकतवर? जानकर चौंक जाएंगे!

न्यूज डेस्क। 21वीं सदी में वैश्विक शक्ति संतुलन का केंद्र अब केवल ज़मीन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समुद्र की लहरों पर भी इसका असर साफ़ देखा जा रहा है। विशेषकर जब बात होती है अमेरिका और चीन जैसी दो महाशक्तियों की, तो नौसेना बल (Naval Power) की तुलना स्वाभाविक हो जाती है।

हाल के वर्षों में चीन ने अपनी नौसेना के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया है और आज उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी युद्धपोतों की संख्या वाली नौसेना है। वहीं दूसरी ओर, अमेरिका की नौसेना भले ही संख्या में पीछे हो, लेकिन तकनीकी श्रेष्ठता, रणनीतिक अनुभव और वैश्विक पहुँच के कारण वह अब भी सबसे प्रभावशाली मानी जाती है।

युद्धपोतों की संख्या में चीन की बढ़त

रिपोर्टों के अनुसार: चीन के पास इस समय लगभग 370 युद्धपोत हैं। जबकि अमेरिका के पास करीब 290 युद्धपोत हैं। इस दृष्टिकोण से देखें तो चीन ने स्पष्ट रूप से संख्यात्मक बढ़त हासिल कर ली है। लेकिन नौसेना की ताकत केवल संख्या पर निर्भर नहीं करती।

तकनीक में अमेरिका अब भी आगे

एयरक्राफ्ट कैरियर्स (विमान वाहक पोत) अमेरिका के पास 11 परमाणु चालित सुपरकैरीयर हैं, जबकि चीन के पास सिर्फ 3 हैं और वे भी पारंपरिक ऊर्जा पर आधारित हैं। अमेरिका के पास लगभग 70 से अधिक पनडुब्बियाँ हैं, जिनमें अत्याधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता है। चीन की पनडुब्बी ताकत भी बढ़ रही है, लेकिन अब भी अमेरिका से पीछे मानी जाती है।

अमेरिका की नौसेना में स्टील्थ तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, और ड्रोन आधारित निगरानी प्रणाली जैसे अत्याधुनिक संसाधनों का समावेश है। जो उसे दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेना बनाती हैं। इस मामले में चीन अमेरिका से पीछे दिखाई देता हैं।

युद्ध-अनुभव और वैश्विक पहुँच

अमेरिका की नौसेना ने इराक, अफगानिस्तान, सीरिया और अन्य वैश्विक संघर्षों में सक्रिय भागीदारी की है। इसका संचालन अनुभव, लॉजिस्टिक सपोर्ट और वैश्विक तैनाती क्षमता चीन से कहीं अधिक व्यापक है। वहीं चीन का ज़ोर दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य जैसे क्षेत्रों में स्थानीय वर्चस्व स्थापित करने पर रहा है। हालांकि हाल के वर्षों में वह अफ्रीका और हिंद महासागर में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाने के प्रयास कर रहा है।

भविष्य की टकराहट?

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दशकों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific) दुनिया की भूराजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा। अमेरिका पहले ही QUAD (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) और अन्य सहयोगों के माध्यम से चीन की गतिविधियों पर निगरानी बनाए हुए है।

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