सावन के 2 दिव्य मंत्र: खोलें भक्ति और शक्ति के द्वार

धर्म डेस्क। श्रावण मास — एक ऐसा समय जब धरती हरियाली से सज जाती है और आकाश से अमृत की वर्षा होती है। यही वह काल है जब भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व होता है। इस पवित्र माह में श्रद्धालु व्रत, रुद्राभिषेक, और मंत्र जाप के माध्यम से भोलेनाथ की कृपा पाने का प्रयास करते हैं। ऐसे में दो मंत्र विशेष रूप से प्रभावशाली माने जाते हैं — महामृत्युंजय मंत्र और पंचाक्षरी मंत्र।

1. महामृत्युंजय मंत्र: जीवन रक्षक संजीवनी

मंत्र: ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

अर्थ: हम त्रिनेत्र वाले शिव की आराधना करते हैं जो संपूर्ण जगत को सुगंध और पोषण प्रदान करते हैं। वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें और अमरत्व की ओर ले चलें।

शक्ति: इस मंत्र को ‘मृत्यु पर विजय पाने वाला’ कहा गया है। मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और दीर्घायु के लिए इस मंत्र का जाप अत्यंत फलदायी माना जाता है। सावन में प्रतिदिन 108 बार जाप करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

2. पंचाक्षरी मंत्र: सरल, सशक्त और सर्वप्रिय

मंत्र: ॐ नमः शिवाय॥

अर्थ: मैं भगवान शिव को नमन करता हूँ।

शक्ति: यह पांच अक्षरों वाला मंत्र सीधे शिवतत्त्व से जुड़ने का साधन है। यह आत्मा को शुद्ध करता है, मन को शांत करता है और जीवन में स्थिरता लाता है। विशेष रूप से सावन के सोमवार को इसका जाप शुभ फलदायक होता है।

कैसे करें जाप?

प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर शांत वातावरण में बैठें। रुद्राक्ष की माला से जाप करें। जल या दूध से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए मंत्र उच्चारित करें। श्रद्धा और नियम का पालन करें — यही मंत्रों की सिद्धि की कुंजी है।

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